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    Rewari Malaria Cases: रेवाड़ी में पीवी मलेरिया ने तोड़ा आठ साल का रिकॉर्ड, 14 संक्रमित मिले

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 12:42 PM (IST)

    रेवाड़ी में फॉगिंग की कमी के कारण मलेरिया के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले आठ वर्षों में इस साल सबसे ज्यादा 14 मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पंचायती राज विभाग को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है। मलेरिया से बचाव के लिए शाम को घर में रहने शरीर ढकने वाले कपड़े पहनने और आस-पास पानी जमा न होने देने की सलाह दी गई है।

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    रेवाड़ी का नागरिक अस्पताल। फोटो सौजन्य- जागरण

    जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। समय पर फॉगिंग नहीं होने से डेंगू ही नहीं, बल्कि पीवी मलेरिया (प्लास्मोडियम परजीवी) के संक्रमितों का आंकड़ा भी इस बार तेजी से बढ़ा है। पिछले आठ सालों के मुकाबले इस बार सबसे ज्यादा पीवी मलेरिया के 14 संक्रमित मिल चुके हैं।

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    इससे पहले 2018 में 13 लोग संक्रमित हुए थे। हालांकि राहत की बात यह है कि अभी तक किसी मरीज की मौत नहीं हुई। स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ते मामलों को लेकर पंचायती राज विभाग को पत्र भेजकर समय पर फागिंग न होने की जानकारी दी है। विभाग ने कहा कि मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए समय पर फागिंग न होने के कारण संक्रमण फैल रहा है।

    दरअसल, स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद मलेरिया पर अंकुश लगने की बजाए संक्रमित पाए जा रहे हैं। पिछले आठ सालों में 68 मलेरिया के केस मिले हैं। वर्ष 2021 में जिले में एक केस आया था। जबकि इसके बाद के सालों में लगातार संक्रमित बढ़ते रहे हैं।

    वहीं, सरकार ने बीमारी खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के लक्ष्य का समय बढ़ा दिया है। इसको लेकर अब सरकार की ओर से मलेरिया को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य 2030 तक रखा गया है। बीमारी को खत्म नहीं कर पाने की सबसे बड़ी बजह यह रही है कि जिले में सभी जगहों पर जलभराव से मच्छर को पनपने से रोकने के प्रयास नहीं हो पाए हैं।

    मलेरिया से बचाव के उपाय

    मलेरिया के मच्छर अधिकत्तर शाम या रात को काटते हैं। इसलिए इस समय संभव हो ती घर में ही रहें। मलेरिया से बचने के लिए उन कपड़ों का उपयोग करें जो शरीर के अधिकांश हिस्से को ढक सके। घर के आसपास पानी या गंदे पानी को जमा ना होने दें।

    मलेरिया के ये होते हैं लक्षण

    बुखार आना, सिर दर्द होना, उल्टी होना, मन का मचलना, ठंड लगना, चक्कर आना, थकान होना, पेट दर्द, तेजी से सांस लेना।

    तालाब में छोड़ी गई गम्बूजिया मछली

    स्वास्थ्य विभाग ने इस बार ग्रामीण क्षेत्रों के तालाब में गम्बूजिया मछली छोड़ी हैं, लेकिन इसके अलावा भी सड़कों के किनारे, खाली प्लॉट, नालियों में पानी भरा हुआ रहता है। चिकित्सकों के मुताबिक मलेरिया एनोफिलीज मादा मच्छर के काटने से होता है।

    इस प्रजाति के मच्छर वर्षा के मौसम में अधिक होते है। फिलहाल मानसून की विदाई हो चुकी है, लेकिन अभी भी मलेरिया का खतरा कम नहीं हुआ है। एनोफिलीज मादा मच्छर काटने की वजह से व्यक्ति को बुखार और सिर दर्द होना शुरू हो जाता है। मलेरिया में बुखार कभी कम हो जाता है तो कभी ज्यादा हो जाता है।

    बीमारी से बचाव को लेकर समय-समय पर जागरूक करते रहे हैं। इस बार पीवी मलेरिया के 14 संक्रमित मिल चुके हैं। यह पिछले आठ सालों में सबसे ज्यादा है।

    -डॉ. विरेंद्र यादव, इस्पेक्टर, डेंगू एवं मलेरिया

    आठ सालों में मिले पीवी मलेरिया के केस का आंकड़ा

    वर्ष केस
    2017 8
    2018 13
    2019 9
    2020 2
    2021 1
    2022 5
    2023 9
    2024 8
    2025-सितंबर 14