गजब हाल! PWD के पास गिराने वाले जर्जर भवनों की सूची ही नहीं, नोटिस देने तक सिमटी नप की कार्रवाई
रेवाड़ी शहर में जर्जर इमारतें खतरे का कारण बन रही हैं। नगर परिषद ने इमारतों को चिह्नित तो किया पर गिराने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विभागों के बीच तालमेल की कमी के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। हाल ही में अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है लेकिन देखना यह है कि यह कब तक लागू होता है।

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। रेवाड़ी शहर में खंडहर और जर्जर इमारतें किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकती है। लेकिन इन भवनों को चिन्हित जरूर किया गया लेकिन कार्रवाई के नाम पर जिम्मेदार अधिकारियों की कार्रवाई नोटिस देने और सूचना चस्पा करने तक ही सिमटी रही।
यही वजह है कि इन्हें गिराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। वर्षा का मौसम शुरू हो चुका है और शहर में घनी आबादी वाले एरिया में दशकों पुराने यह जर्जर भवन गिरने के कगार पर है। ‘दैनिक जागरण’ ने ‘खंडहर और जर्जर इमारतें’ नाम से एजेंडा शुरू किया है।
दरअसल, दो साल पहले शहर के ऐतिहासिक भाड़ावास गेट का एक हिस्सा वर्षा के मौसम में अचानक गिर गया था। इसके मलबे के नीचे दबने से सेवानिवृत शिक्षक सुभाष चंद की मौत हो गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही 100 साल से ज्यादा पुरानी मुक्ति हवेली की दीवार गिरने से पांच से ज्यादा वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे। इन दोनों हादसों के बाद खूब हो हल्ला हुआ। इस लापरवाही को लेकर नगर परिषद को जिम्मेदार ठहराया गया।
इसके बाद नगर परिषद ने शहर में खंडहर और जर्जर इमारतों को चिन्हित करने का काम शुरू किया। पुरानी तहसील भवन, मुक्ति हवेली सहित 20 से ज्यादा जगह नोटिस चस्पा करने के साथ ही कुछ इमारतों के मालिकों को नोटिस भी दिए। नोटिस में साफ लिखा कि यह इमारतें कभी भी गिर सकती है। इनके अंदर और आसपास रहने खतरे से खाली नहीं है। इसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए पीडब्ल्यूडी के पाले में गेंद डाल दी।
पीडब्ल्यूडी के पास सूची ही नहीं
नगर परिषद के अधिकारियों के मुताबिक, वह तो चिन्हित कर नोटिस देने का काम करते है। ऐसे जर्जर भवन को गिराने का काम लोक निर्माण विभाग की तरफ से किया जाता है। समय-समय पर उन्हें ऐसे भवन के बारे में सूचित भी किया जाता है।
लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, उनके पास नगर परिषद की तरफ से ऐसी कोई सूची ही नहीं आई, जिससे कोई खंडहर या जर्जर भवन गिराया जा सके। इससे साफ है कि दोनों विभागों के अधिकारियों में तालमेल ही नहीं है। ऐसे में कैसे खंडहर हो चुके भवन को गिराया जा सकता है।
जल्द तैयार कराएंगे सूची
मेरे कार्यभार संभालने से पहले कार्रवाई क्यों नहीं हो पाए इसका तो मुझे पता नहीं है लेकिन अब शहर में खंडहर और जर्जर हो चुके भवनों की सूची तैयार कराई जाएगी। इसके बाद आगामी कार्रवाई करते हुए संबंधित विभाग को ऐसे भवन को गिराने के लिए पत्र लिखा जाएगा। - सुशील कुमार, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद
हमारे पास ऐसी कोई सूची ही नहीं
शहर में खंडहर और जर्जर हो चुके भवनों से संबंधित कोई सूची हमारे पास नहीं है। अगर हमारे पास ऐसे भवन गिराने से संबंधित कोई पत्र भेजा जाता है तो जरूर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। - सतेंद्र सिंह, एक्सइएन, पीडब्ल्यूडी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।