Move to Jagran APP

जब 1300 चीनी सैनिकों पर भारी पड़े थे 120 भारतीय जवान, पढ़िए- मेजर शैतान सिंह का रोल

India-china war बता दें कि मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में ही चुशूल घाटी की हिफाजत करते हुए 120 भारतीय सैनिकों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 11:37 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 12:39 PM (IST)
जब 1300 चीनी सैनिकों पर भारी पड़े थे 120 भारतीय जवान, पढ़िए- मेजर शैतान सिंह का रोल
जब 1300 चीनी सैनिकों पर भारी पड़े थे 120 भारतीय जवान, पढ़िए- मेजर शैतान सिंह का रोल

रेवाड़ी [जागरण स्पेशल]। लद्दाख की दुर्गम बर्फीली चोटी पर अहीरवाल के वीरों द्वारा लिखी शहादत की गाथा अद्वितीय है। अहीरवाल के वीरों के साहस के आगे चीन के सैनिक नतमस्तक होने पर मजबूर हो गए थे। युद्ध में देश के जवानों की शहादत आज भी युवाओं के जहन में देशभक्ति की भावना जागृत कर रही है। चीनी आक्रमण के समय आज ही के दिन 18 नवंबर 1962 को लद्दाख की बर्फीली चोटी पर स्थित रेजांगला पोस्ट पर हुए युद्ध की गौरवगाथा विश्व के युद्ध इतिहास में अद्वितीय है।

loksabha election banner

मेजर शैतान सिंह को कभी नहीं भूलेगा भारत 

बता दें कि मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में ही चुशूल घाटी की हिफाजत करते हुए 120 भारतीय सैनिकों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था। 

कांप उठी थी चीनी सेना

वर्ष, 1962 में रेजांगला पोस्ट पर हुए इस युद्ध में तत्कालीन 13 कुमाऊं बटालियन के 124 जवानों में से 114 जवान कुर्बान हो गए थे। इन जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था। विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों और बर्फीले मौसम के बावजूद वीर सैनिकों ने चीन की सेना का डटकर मुकाबला करते हुए उन्हें पराजित कर दिया था। मैदानी क्षेत्रों से गए हमारे सैनिकों के लिए हालत अनुकूल नहीं थे। हथियारों में भी हम उन्नीस थे। वीरों के सामने परीक्षा की घड़ी 17 नवंबर की रात तब आई थी, जब तूफान के कारण रेजांगला की बर्फीली चोटी पर मोर्चा संभाल रहे इन जवानों का संपर्क बटालियन मुख्यालय से टूट गया। विषम परिस्थितियों के बीच ही 18 नवंबर को तड़के चार बजे युद्ध शुरू हो गया, लेकिन किसी को रेजांगला पोस्ट पर चल रहे ऐतिहासिक युद्ध की जानकारी नहीं मिल पाई। 18 हजार फुट ऊंची पोस्ट पर हुए युद्ध में वीरता के सामने चीनी सेना कांप उठी।

रेजांगला पोस्ट पर दिखाई वीरता का सम्मान करते हुए ही भारत सरकार ने कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह को जहां मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार पदक परमवीर चक्र से जहां अलंकृत किया था, वहीं इसी बटालियन के आठ अन्य जवानों को वीर चक्र, चार को सेना मेडल व एक को मैंशन इन डिस्पेच का सम्मान प्रदान किया गया था। इसके अलावा 13 कुमायूं के कमांडिंग अफसर (सीओ) को एवीएसएम से अलंकृत किया था।

किसी बटालियन को नहीं मिले इतने पदक

सैन्य इतिहास में किसी एक बटालियन को एक साथ बहादुरी के इतने पदक नहीं मिले। बाद में सरकार ने कंपनी का नाम रेजांगला कंपनी कर दिया। रेजांगला युद्ध में शहीद हुए वीरों में मेजर शैतान सिंह पीवीसी जोधपुर के भाटी राजपूत थे, जबकि नर्सिग सहायक धर्मपाल सिंह दहिया (वीर चक्र) सोनीपत के जाट परिवार से थे। कंपनी का सफाई कर्मचारी पंजाब का था। शेष सभी जवान वीर अहीर थे व इनमें अधिकांश यहां के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व सीमा से सटे अलवर के रहने वाले थे।

आज होगा शहादत को नमन

यहां के दिल्ली रोड स्थित रेजांगला शहीद स्मारक पर 18 नवंबर को शहीदों को नमन किया जाएगा। अहीर रेजीमेंट संघर्ष समिति की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान गढ़ी बोलनी रोड स्थित यादव कल्याण सभा भवन से पदयात्र शुरू होकर रेजांगला शहीद स्मारक पर संपन्न होगी। सुबह नौ बजे होने वाले इस कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

दिल्ली-एनसीआर की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.