Rewari News: उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हो रही हरियाणा के डीएपी की तस्करी
Haryana News हरियाणा से डीएपी को उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भेजा जा रहा है। कुछ किसान उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अपनी रिश्तेदारियों में डीएपी पहुंचा रहे हैं। इसके कारण हरियाणा में इसकी किल्लत बढ़ रही है। खाद का अनावश्यक तरीके से स्टाक भी किया जा रहा है।

रेवाड़ी, अमित सैनी: सरकार कह रही है कि डीएपी की कोई किल्लत नहीं है, लेकिन हजारों की तादात में किसान हर रोज डीएपी के लिए लाइन में लग रहे हैं। आखिरकार डीएपी की कमी क्यों हो रही है इसके कारणों की पड़ताल की गई तो चौंकने वाले तथ्य सामने आए हैं।
हरियाणा से डीएपी को उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भेजा जा रहा है। कुछ किसान उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अपनी रिश्तेदारियों में डीएपी पहुंचा रहे हैं। इसके कारण हरियाणा में इसकी किल्लत बढ़ रही है। खाद का अनावश्यक तरीके से स्टाक भी किया जा रहा है।
मंगवाया जा चुका है 10 लाख मीट्रिक टन डीएपी
प्रदेश की अगर बात की जाए तो करीब 13 लाख मीट्रिक टन डीएपी की सालभर में दोनों सीजन में आवश्यकता होती है। अब तक 10 लाख मीट्रिक टन डीएपी मंगवाया जा चुका है जबकि अनुमान है कि प्रदेश में इसकी खपत करीब सात लाख मीट्रिक टन के आसपास ही होती है। यानी खपत से काफी अधिक डीएपी आ चुका है। फिलहाल सरसों की बिजाई चल रही है और नवंबर के प्रथम सप्ताह से गेहूं की बिजाई भी आरंभ हो जाएगी। 10 लाख मीट्रिक टन डीएपी के आने के बाद किसी भी सूरत में डीएपी की कमी नहीं आनी चाहिए।
किसानों में डीएपी को लेकर मची हुई है भगदड़
हरियाणा में पिछले साल 62 लाख एकड़ में गेहूं की बिजाई की गई थी। इसी प्रकार 19 लाख एकड़ में सरसों की बिजाई हुई थी। इस बार भी रकबे में कोई ज्यादा अंतर नहीं आने वाला है। विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ में एक बैग डीएपी का इस्तेमाल होता है। अब तक 65 से 70 लाख बैग डीएपी के बांटे जा चुके हैं और लगातार सप्लाई भी आ रही है। इसके बावजूद भी किसानों में डीएपी को लेकर भगदड़ मची हुई है। इतनी किल्लत होना स्पष्ट करता है कि डीएपी की कालाबाजारी भी हो रही है।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हो रही सप्लाई
रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ की अगर बात की जाए तो यहां से राजस्थान में बहुत अधिक रिश्तेदारी है और राजस्थान बिल्कुल सटा भी हुआ है। ऐसे में यहां के किसान अपनी रिश्तेदारियों व जान पहचान में खूब डीएपी पहुंचाते हैं। डीएपी के बैग की कीमत 1350 है और कालाबाजारी में इसको 1500 रुपये तक बेचने की भी बात सामने आई है। सोनीपत, पलवल और यमुनानगर से उत्तर प्रदेश की रिश्तेदारियों में डीएपी पहुंचाया जाता है। गत वर्ष भी सरकार ने भिवानी, फतेहाबाद से राजस्थान जाते हुए डीएपी के ट्रक पकड़े थे। इस बार सितंबर में भी डीएपी की रिकार्ड खरीद हुई है।
खाद को स्टाक कर रहे किसान
अधिकारियों की मानें तो सितंबर में मुश्किल से 20 से 25 हजार मीट्रिक टन ही डीएपी बिकता था और ज्यादा डीएपी अक्टूबर में बिकता है, लेकिन इस बार पूरे सितंबर में प्रदेशभर में 90 हजार मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हो चुकी थी। इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा खाद को स्टाक करने की बात भी सामने आ रही है।
अनैतिक मुनाफे के लिए खाद की तस्करी
हमारे राज्य के कुछ जिले ऐसे हैं जिनका पड़ोस राजस्थान और उत्तर प्रदेश से है। इन दोनों राज्यों के जिलों में हमारे किसानों की रिश्तेदारियां भी हैं। राजस्थान में तो खाद की किल्लत हमेशा रहती है। जब कभी उत्तर प्रदेश में इसकी कमी हो जाती है तो वहां भी हमारे कुछ किसान अपनी रिश्तेदारियों में खाद भेज देते हैं, इससे हमारे यहां किल्लत हो जाती है। जो लोग अनैतिक मुनाफे के लिए खाद की तस्करी करते हैं, उनके खिलाफ हमने पिछले साल भी सख्त कार्रवाई की थी और इस बार भी सख्त कार्रवाई होगी। -जेपी दलाल, कृषि मंत्री
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