Haryana Election: कांग्रेस को किसका प्रेम ले डूबा? रेवाड़ी में चारों खाने हुई चित; हार की सामने आई बड़ी वजह
Haryana Election हरियाणा के रेवाड़ी में कांग्रेस की हार की वजह सामने आ गई है। रेवाड़ी जिले के ज्यादातर गांवों में कांग्रेस को जाट और दलित प्रेम ले डूबा हुआ है। इन गांवों में दलित का अधिकतर वोट भाजपा को गया है। दक्षिण हरियाणा में पिछले चुनाव में कांग्रेस को 10 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार सिर्फ सात सीटों पर ही कांग्रेस सिमट गई।
सत्येंद्र सिंह, जागरण रेवाड़ी। भाजपा गई, कांग्रेस आई, का नारा लगाने वाली कांग्रेस दक्षिण हरियाणा में चारों खाने चित हो गई। पिछले चुनाव में पार्टी को 29 में से 10 सीट मिली थी, इस बार सात तक ही सीमित हो गई। पार्टी ने किसानों के लिए एमएसपी, अग्निवीर और पहलवानों के प्रदर्शन को चुनाव पूर्व मुद्दा बना चुनावी दंगल में ताल ठोंकी थी।
कांग्रेसी यह मान रहे थे कि जाट तो अपने हैं ही, संविधान बदल आरक्षण हटाने के आरोप पर दलित और पिछड़े मतदाता भी पाले में आ जाएंगे पर ऐसा हुआ नहीं। गैर जाट और जाट की लड़ाई में दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों ने कांग्रेस की हवा निकाल दी। जिससे भाजपा की सीट बढ़ी और कांग्रेस दस से सात पर आ गई। जिसमें तीन सीट मुस्लिम बहुल नूंह जिले की भी हैं। दलितों ने भी भाजपा का जमकर साथ दिया है।
70 प्रतिशत दलित वोटर की पहली पसंद रही भाजपा
भाजपा नेताओं का दावा है कि 70 प्रतिशत दलित वोटर की पहली पसंद भाजपा ही बनी है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, पलवल, नूंह में करीब पांच सौ से अधिक ऐसे गांव जहां पर 80 प्रतिशत से अधिक जाट बिरादरी के लोग रह रहे हैं।
इन गांवों के मतदान के आंकड़े देखे तो कहीं पर 40 तो कहीं पर 70 प्रतिशत लोगों ने भाजपा उम्मीदवार का साथ दिया। गुरुग्राम की बादशाहपुर और सोहना विधानसभा क्षेत्र में 35 गांव ऐसे जिनमें 70 प्रतिशत जाट समुदाय के लोग हैं। इनमें 50 प्रतिशत मतदाता निर्दलीय व 12 प्रतिशत भाजपा और अन्य कांग्रेस के साथ खड़े मिले।
खरखौदा में सबसे अधिक जाट बिरादरी के लोग
इसी तरह सोनीपत के शहरी क्षेत्र को छोड़ दे तो डेढ़ सौ से अधिक जाट बहुल गांव हैं, जहां पर जाट बिरादरी के मतदाता बहुसंख्यक हैं। खरखौदा में सबसे अधिक जाट बिरादरी के लोग हैं, जिन्होंने कमल खिलाया। किसानों के प्रदर्शन का मुख्य गढ़ ही सोनीपत रहा है, लेकिन कमल खिलाकर यहां के लोगों ने यह संदेश दिया कि हम किसी पार्टी के नहीं विकास करने वाले के साथ हैं।
यही वजह रही कि वर्ष 2019 के विस चुनाव में चार सीट जीतने वाली कांग्रेस के इस चुनाव में एक ही सीट मिली है। फरीदाबाद, पलवल, होडल और हथीन क्षेत्र के गांवों में जाट मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवारों को विजय दिलाने में भूमिका निभाई। नूंह, सोहना व तावडू में भी जाट बाहुल्य गांव से भाजपा को कई बूथ से बराबर कांग्रेस के बराबर मत मिले।
कई गांवों में भाजपा को 60 फीसदी वोट मिले
जाट बाहुल्य कई गांव ऐसे हैं, जहां पर 60 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले l पिछले चुनाव में दस सीट जीतने वाली कांग्रेस ने तीन सीट गवां दी है। रेवाड़ी, बावल और महेंद्रगढ़ और कोसली सीट में आने वाले सौ से अधिक जाट बहुल गांवों से भाजपा को 50 प्रतिशत तक मत मिले जिसके बल पर ही इन सीटों से शानदार जीत दर्ज कराई। दलित समुदाय के लोगों ने भी जमकर साथ दिया। उनकी पसंद भी डबल इंजन की सरकार रही।
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दक्षिण हरियाणा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बावल, पटौदी और खरखौदा में कमल खिला है। बावल और पटौदी पर पहले भी भाजपा का कब्जा था। दलित प्रेम दिखाने वाली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी अपने क्षेत्र में कमल खिलने से नहीं रोक पाए।
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