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अरविंद यादव को महंगा पड़ा राव से पंगा लेना, अपमान का इंद्रजीत ने लिया बड़ा बदला

हरियाणा भाजपा के उपाध्‍यक्ष पद से हटाए गए अरविंद यादव को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से विवाद महंगा पड़ा। माना जा रहा है कि इंद्रजीत ने अपने अपमान को अर‍विंद से बदला लिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 10:42 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 08:55 PM (IST)
अरविंद यादव को महंगा पड़ा राव से पंगा लेना, अपमान का इंद्रजीत ने लिया बड़ा  बदला
अरविंद यादव को महंगा पड़ा राव से पंगा लेना, अपमान का इंद्रजीत ने लिया बड़ा बदला

रेवाड़ी, [महेश कुमार वैद्य]। हरियाणा भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से हटाए गए अरविंद यादव को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से पंगा लेना महंगा पड़ा। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के दौरान अपने साथ अपमनाजनक सुलूक का राव इंद्रजीत ने बड़ा बदला लिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान अपने कार्यालय पर बुलाकर राव इंद्रजीत सिंह पर अरविंद यादव व उनके समर्थकों ने सवालों की झड़ी लगाई थी। उनका उस दिन तो राव ने बेशक जवाब नहीं दिया, लेकिन अब अरविंद को पदमुक्त करवाकर एक ही झटके में सारे सवालों का एक साथ करारा जवाब दे दिया है।

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केंद्रीय मंत्री राव की शिकायत पर ही अरविंद के खिलाफ हुई है कार्रवाई

राजनीति विश्‍लेषकों का कहना है कि राव इंद्रजीत सिंह के यह जवाब ऐसा है जिसे अरविंद यादव अपने सियासी जीवन में शायद ही कभी भूल पाएं। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि राव इंद्रजीत की शिकायत पर ही अरविंद के खिलाफ कार्रवाई हुई है। सबसे अहम बात है कि अर‍विंद यादव को मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल का करीबी माना जाता है और इसके बावजूद उनकी वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष पद से छुट्टी किए जाने को बड़ा झटका माना जा रहा है।

यह था घटनाक्रम

10 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह रेवाड़ी विस से पार्टी उम्मीदवार सुनील मुसेपुर के लिए समर्थन मांगने अरविंद यादव के कार्यालय पहुंचे थे। इससे पूर्व 9 अक्टूबर को राव इनके घर भी गए थे। घर पर ही अगले दिन कार्यालय में आने का कार्यक्रम तय हुआ था, परंतु कार्यालय में राव के आने पर उन पर अरविंद समर्थकों ने इतने तीखे सवाल दागे कि राव को अपमान का कड़वा घूंट पीकर जाना पड़ा।

सूत्रों के अनुसार राव से अधिक तीखे सवाल पूछने वाले कुछ लोग अरविंद के खास भी नहीं थे। लोगों ने अरविंद यादव को एंटी राव की राजनीति का सिरमौर बनने के सब्जबाग दिखाकर पीछे हटने से रोक दिया। अरविंद ने भी मामला संभालने की बजाय उस दिन राव इंद्रजीत को कह दिया कि वह उनके कार्यकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पाए, लेकिन राव ने नहले पर दहला मारकर अरविंद और उनकी पूरी टीम को एक ही झटके में अब नए अंदाज में 'संतुष्ट' कर दिया है।

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अरविंद यादव को नहीं पछतावा

दूसरी ओर अरविंद को पदमुक्त होने के बाद भी पिछले घटनाक्रम पर कोई पछतावा नहीं है। उनका कहना है कि उस दिन कोई कार्यकर्ता बाहरी नहीं था। सबके सवाल जायज थे। मैं चालीस वर्ष से अनुशासित सिपाही की तरह काम कर रहा हूं। अगर राव के कहने से पदमुक्त किया है तो भी यह मेरे लिए खुशी की बात है। आखिर कोई तो है जिसने सही बात कहने की हिम्मत की। मुझे नहीं पता कि उस प्रकरण (कार्यालय पर हुए घटनाक्रम) की कोई जांच हो रही है या नहीं, मगर जांच होगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अपनों को दुत्कार कर अगर दूसरों की बातों को सच माना गया तो न्याय नहीं हो पाएगा। न मैं राव विरोधी हूं न पार्टी विरोधी। बस सही बात कहने की हिम्मत दिखाता हूं।

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