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    बढ़ रहे फंगल इंफेक्शन के मामले

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 05 Mar 2018 07:05 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : खानपान में बदलाव, विभिन्न साबुन और क्रीम के प्रयोग करने के साथ क

    बढ़ रहे फंगल इंफेक्शन के मामले

    जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : खानपान में बदलाव, विभिन्न साबुन और क्रीम के प्रयोग करने के साथ कई प्रकार के चर्म रोग भी बढ़ रहे हैं। नागरिक अस्पताल में भी फंगल इंफेक्शन (फफुंदीय संक्रमण) के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

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    माइक्रो बायोलॉजी लैब में प्रतिदिन फंगल इंफेक्शन के 25 से 30 सैंपलों की जांच हो रही है। नागरिक अस्पताल में ही विभिन्न चर्म रोग से पीड़ित मरीजों की दैनिक ओपीडी सौ से अधिक है। इसके अलावा शहर में जगह जगह खुले चर्म रोग अस्पतालों में भी पीड़ित मरीजों की काफी भीड़ रहती है। केओएच माउंट टेस्ट से चर्म रोग के कारण और कारक का समय पर पता चलने के साथ उपचार मिलने से मरीज को लंबा उपचार कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ज्यादा एंटी फंगल दवा खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है।

    फंगल इंफेक्शन के कारण :

    नागरिक अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज यादव का कहना है कि फंगल इंफेक्शन के कई कारण हो सकते है जिनमें मुख्य रूप से नियमित रूप से त्वचा की सफाई नहीं होने, लगातार तंग कपड़े पहनने, पैरों को साफ नहीं रखने, हमेशा गीला रहने, डायबिटिक और डिप्रेस्ड इम्यून सिस्टम के असंतुलन आदि प्रमुख हैं। ऐसे मरीजों के कपड़े रोज गरम पानी में धोने और धूप में सुखाने चाहिए, खाने में तली फास्ट फूड, मसाले, चाय, अचार का सेवन नहीं करना चाहिए। दूसरों के कपड़े तौलिये और जूतों, हेयर ब्रश,कंघी या निजी स्वच्छता की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नेल पालिश और नकली नाखून का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। अपने नाखूनों को दांतों से न दबाएं और न ही चबाएं। ऐसे में फंगल इंफेक्शन की जांच कराने की परामर्श दी जाती है ताकि जल्द रिपोर्ट आते ही दवा और उपचार समय पर किया जा सके।

    बाल, चर्म और नाखून के लेते हैं सैंपल:

    नागरिक अस्पताल की माइक्रो बायोलोजिस्ट डॉ. रेणू बंसल का कहना है कि पोटेशियम हाइड्रोऑक्साइड केमिकल के मिश्रण (केओएच) से फंगल इंफेक्शन का आसानी से पता चल जाता है। इससे मरीज को बीमारी का समय पर उपचार आरंभ होने के साथ बेवजह फंगल इंफेक्शन के दवा का सेवन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके लिए मरीज के बाल, नाखून और चमड़ी के सैंपल को केओएच टेस्ट से चर्म रोग को बढ़ावा देने वाले फंगस की पुष्टि की जाती है।

    मरीजों के लिए उपयोगी टेस्ट:

    केओएच माउंट टेस्ट का फायदा मरीज को चर्म रोग के कारणों के लिए अनाप शनाप दवा खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एंटी फंगल मेडिसन उसी को दिया जा सकेगा जिसे जरूरत है। कल्चर जांच में रिपोर्ट आने के लिए एक सप्ताह से एक माह का समय लगता है जबकि केओएच टेस्ट रिपोर्ट दो दिन के अंदर आ जाती है जिससे समय पर उपचार आरंभ हो सकेगा। डॉ. रेणू बंसल का कहना है कि नाखून और बाल के केओएच जांच रिपोर्ट दो दिन में आती है लेकिन चमड़ी की जांच रिपोर्ट 15 से 20 मिनट में मिल जाती है। एंटी फंगल दवा ज्यादा खाने से कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसलिए केओएच टेस्ट से इसका बचाव हो सकेगा और बीमारी जल्द ठीक होगी।

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