पूर्व वायुसेना अधिकारी ने IGU रेवाड़ी पर नियुक्ति में भेदभाव का लगाया आरोप, प्रधानमंत्री से न्याय की मांग
एक पूर्व वायुसेना अधिकारी ने IGU रेवाड़ी में नियुक्ति प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री से न्याय की मांग की है। अधिकारी का दावा है कि नियुक्तियों में पारदर्शिता नहीं बरती गई और योग्य उम्मीदवारों को अनदेखा किया गया। उन्होंने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपों को निराधार बताया है।

इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय पर लगाया भेदभाव का आरोप।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। भूतपूर्व सैनिक ने इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आइजीयू) में नियुक्ति प्रक्रिया में भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है। जिले के मस्तापुर गांव में रहने वाले पूर्व वायु सैनिक डा. मनोज कुमार ने सरकारी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए आइजीयू रेवाड़ी द्वारा साक्षात्कार में नियमों को ताक पर रखकर उनके साथ अन्य तीन अभ्यर्थियों को ‘नान फाउंड सूटेबल’ (एनएफएस) की टिप्पणी के साथ नियुक्ति से वंचित किया है।
उन्होंने एक सेवानिवृत्त वायु सैनिक के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं अर्थशास्त्र में एमए व पीएचडी तथा पांच वांछित शोध पेपर तथा वर्ष से अधिक का शैक्षणिक अनुभव होने के साथ उन्हें साक्षात्कार के लिए योग्य मानते हुए पांच जुलाई, 2024 में साक्षात्कार में शामिल किया था।
नहीं मिला संतोषजनक जावाब
उन्होंने एक्स सर्विसमैन के आरक्षित वर्ग में आवेदन किया था। इसमें उनके साथ तीन अन्य अभ्यर्थी थे जिनमें उन्हें साक्षात्कार में सर्वाधिक 63 अंक मिले थे। इसके बावजूद उनके साथ अन्य तीन अभ्यर्थियों को भी एनएफएस कर दिया। इससे पहले उन्होंने राजकीय महाविद्यालय खरखड़ा, रेवाड़ी के राजकीय कन्या महाविद्यालय, अटेली मंडी के राजकीय महाविद्यालय के साथ गुरुग्राम विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। इसका भी अनुभव लाभ मिलना चाहिए था लेकिन एनएफएस घोषित करने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन से कारण जानने का प्रयास किया तो कभी संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
इसके बाद उन्हें न्यायालय का सहारा लेना पड़ा। न्यायालय की ओर से इसी साल पांच जून को विश्वविद्यालय को एनएफएस का कारण बताने के आदेश दिए गए। इस पर विश्वविद्यालय की ओर से उपकुलसचिव के माध्यम से उन्हें यह तर्क दिया गया है कि चयन कमेटी ओर से एनएफएस मानते हुए नया विज्ञापन जारी होने का तर्क दिया है।
प्रधानमंत्री से लगाई न्याय की गुहार
उस समय चयन कमेटी में तत्कालीन कुलपति प्रो. जेपी यादव, केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. वाइस चांसलर प्रो. सुषमा यादव, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर कलां सोनीपत के प्रो. सुरेंद्र मोर, केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के प्रो. रंजन अनेजा, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के सेवानिवृत्त प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन आइजीयू के कुलसचिव प्रो. प्रमोद कुमार और आइजीयू के डा. विकास बत्रा सहित सात सदस्य शामिल थे। अब पीड़ित ने प्रधानमंत्री से इस मामले में जांच कर पूर्व वायु सैनिक के साथ न्याय करने की गुहार लगाई है।
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