शक्ति रूपेण संस्थिता: मां गायत्री मंदिर
धारूहेड़ा क्षेत्र के बास रोड स्थित मां गायत्री मंदिर में नवरात्र ही नहीं पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ ...और पढ़ें

धारूहेड़ा क्षेत्र के बास रोड स्थित मां गायत्री मंदिर में नवरात्र ही नहीं पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर में धारूहेड़ा के आसपास के साथ राजस्थान के खुशखेड़ा व भिवाड़ी से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं। मंदिर में सुबह शाम कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।
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मंदिर का इतिहास:
नंदरामुपर बास रोड पर भूप विहार कॉलोनी में स्थित मां गायत्री मंदिर करीब दो दशक पुराना है। कॉलोनी बसने के साथ श्रद्धालुओं द्वारा यह मंदिर बनाया गया था। शुरूआत में मंदिर छोटा था, लेकिन साल दर साल श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर का विस्तार ओर जीर्णोद्वार होता गया। मान्यता है कि जो यहां मंदिर में मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना पूरी जरूरी होती है।
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कैसे पहुंचे मंदिर:
यह मंदिर धारूहेड़ा बस स्टैंड से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस स्टैंड से मंदिर तक ऑटो से या पैदल भी जा सकते हैं। प्रसिद्ध मंदिर होने के कारण आसानी से मंदिर में पहुंच सकते हैं।
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मंदिर की विशेषता:
मंदिर में गायत्री चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से धार्मिक गतिविधियां चलती रहती हैं। मंदिर में सुबह शाम आरती के साथ यज्ञ व भजन कीर्तन का आयोजन होता है। मंदिर में नवरात्रि पर सुबह प्रतिदिन यज्ञ का अयोजन किया जाता है। ट्रस्ट की ओर से समय समय पर धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित कराए जाते हैं।
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मंदिर में दिनभर श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहता है। नवरात्रों पर श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ होती है। मंदिर में ट्रस्ट की ओर से समय समय पर कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। मंदिर के प्रति दूर दराज के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है।
-राजकुमार भारद्वाज, पुजारी
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इस मंदिर में वर्ष भर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। मंदिर की देखरेख व सुविधाओं के लिए एक ट्रस्ट बनाई हुई है। ट्रस्ट की हर महिने बैठक आयोजित की जाती है। ट्रस्ट मंदिर ही नहीं दूसरे गांवों में भागवत कथा, आरती व यज्ञ का आयोजन और व्यवस्था की देखरेख करता है।
-त्रिभुवन शास्त्री, प्रधान, गायत्री मंदिर ट्रस्ट।

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