आज भी प्रांसंगिक हैं लेनिन के सिद्धांत
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: सौ साल बाद आज भी महान क्रांतिकारी नेता वीआइ लेनिन के सिद्धांत प्रासंगिक
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी:
सौ साल बाद आज भी महान क्रांतिकारी नेता वीआइ लेनिन के सिद्धांत प्रासंगिक हैं। वे न केवल रूस के शिखर राजनेता थे बल्कि मानव जाति की एक महान संतान थे। यह बात एसयूसीआइ पार्टी के राज्य सचिव कामरेड सत्यवान ने शनिवार को नेहरू पार्क में समाजवादी क्रांति के प्रवर्तक वीआइ लेनिन के 93वें बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित स्मृति सभा में बतौर मुख्य वक्ता कही। जिला कमेटी सदस्य बलराम की अध्यक्षता और कामरेड रामकुमार के मंच संचालन में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कामरेड लेनिन के जीवन और उनके संघर्ष पर अपने विचार रखे। कामरेड सत्यवान ने कहा कि सौ साल पहले लेनिन के नेतृत्व में रूस में पहली समाजवादी क्रांति सफल हुई थी अर्थात शोषणकारी पूंजीवादी व्यवस्था को जनबल से उखाड़ फेंककर राजकाज की बागडोर मजदूर, किसानों के हाथ में आई थी। लेनिन ने काश्तकार किसानों को कृषि भूमि का मालिकाना हक दिया। लोगों की मेहनत व कमाई की लूट खसोट पर पूर्ण रोक लगा दी। मानव द्वारा मानव के शोषण का अंत कर हजारों सालों से कायम गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, नशाखोरी व व्याभिचार जैसी व्याधियों को समाप्त कर दिया गया। धर्म, नस्ल, भाषा व इलाका के आधार पर भेदभाव के अलावा नारी, पुरुष भेदभाव, समाप्त कर वहां सच्चे मायनों में में जनतंत्र कायम हुआ था। कामरेड राजेंद्र ¨सह एडवोकेट ने कहा कि 7 नवंबर 1917 को सफल हुए साम्राज्यवादी क्रांति से हमारे देश के स्वतंत्रा संग्राम के महान योद्धा नेताजी सुभाषचंद्र बोस, शहीद भगत ¨सह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाखां आदि प्रेरित हुए थे। इंकलाब ¨जदाबाद आज देश और विदेश में शोषित पीड़ित जनता का नारा बन गया है। राज्य कमेटी सदस्य विजय कुमार ने कहा कि राष्ट्रकवि र¨वद्रनाथ टैगोर तो लेनिन से इतने प्रभावित होने के बाद कहा था कि अगर मैं समाजवादी सोवियत संघ नहीं जाता तो मेरे जीवन की तीर्थ यात्रा अधूरी रह जाती। अन्य वक्ताओं ने कहा कि मार्क्सवाद लेनिनवाद ने सामाजिक परिवर्तन के जिन नियमों को दर्शाया है उनका अनुसरण करते हुए समाज परिवर्तन के नियम को 95 प्रतिशत शोषित पीड़ित जनता के अधिकारों को प्राप्त किया जा सकता है। इस मौके पर काफी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित थीं।
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