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    आवारा पशुओं के उत्पात से किसानों की फसलें हो रही बर्बाद

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    Updated: Wed, 07 Jan 2015 05:52 PM (IST)

    पशुओं को खेत में घुसने से रोकने के लिए किसानों को दिन रात देना पड़ रहा पहरा फोटो : 09 संवाद सहय

    पशुओं को खेत में घुसने से रोकने के लिए किसानों को दिन रात देना पड़ रहा पहरा

    फोटो : 09

    संवाद सहयोगी, सतनाली। सतनाली व आसपास के गावों में नील गायों व बेसहारा पशुओं की संख्या में वृद्वि होने के कारण किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है। बेसहारा पशुओं को खेत में घुसने से रोकने के लिए किसानों को दिन रात पहरा देना पड़ रहा है। क्षेत्र में छुट्टा पशुओं की दिन-प्रतिदिन बढती संख्या किसानों के लिए बड़ी आफत बन चुकी है। इन पशुओं के झुंड जिधर से भी गुजरते है वहां खड़ी फसल को मिनटों में चौपट कर डालते है। इन पशुओं में सर्वाधिक संख्या विदेशी नस्ल की गाय व बछड़ों की है और इनको अपने क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में धकेलने को लेकर किसानों के बीच आए दिन झगड़े भी होते रहते है।

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    क्षेत्र के किसान बलवान सिंह, देवेन्द्र कुमार, सूबे सिंह, रणधीर, रामकरण सहित अनेक किसानों ने बताया कि क्षेत्र के खेतों में रबी की गेहूं, सरसों, चनों सहित अन्य फसलों को बेसहारा पशु नील गाय खेत में घुसकर खराब कर देती हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों और तार बाड़ आदि लगाई जाती है लेकिन पशुओं नीलगायों के झुंड इन तार बाड़ को लाघकर खेतों में घुस जाते हैं। किसानों ने बताया कि तार बाड के लिए एक एकड़ में लगभग बीस से तीस हजार रुपये का खर्चा रहा है। किसानों के लिए दयनीय स्थिति तो तब बन जाती है, जब बड़े झुंड के रूप में खेतों में घुसी इन नील गायों व आवारा पशुओं द्वारा किसानों की फसलों को पूरी तरह से चौपट कर दिया जाता है तथा किसान जब तक खेत में पंहुचते है तब तक ये अपने उत्पात से किसानों की मेहनत पर पानी फेर चूकी होती है। इन आवारा पशुओं को भगाना भी 1-2 व्यक्तियों के बस की बात नहीं हो पाती। किसानों ने पत्रकारों को बताया कि हर गांव में दर्जनों की संख्या में विदेशी नस्ल के गाय-बछड़े घूम रहे है जो कि मौका मिलते ही फसलों को अपना ग्रास बना लेते है। इनमें से बहुत से पशु हिंसक भी हो चुके है तथा पालतु पशुओं व किसानों को जख्मी कर डालते है। किसान इन पशुओं को दूसरे क्षेत्रों में धकेलने का प्रयास करते है तो कई बार किसानों के बीच टकराव की नौबत पैदा हो जाती है। किसानों का कहना है कि गौशालाओं में जाकर सवामणी और केक काटकर फोटो खिंचवाने वाले तथा कथित गौभक्तों को दर-दर की ठोकरे खाती घूम रही गायें नजर नहीं आती और न ही सरकार के स्तर पर गौ अभ्यारण्य जैसे कोई प्रयास किए जा रहे है। अगर इन छुट्टा पशुओं की समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं किया गया तो किसानों के लिए अपनी फसलों व पशुधन को बचा पाना संभव नहीं होगा।

    वाहनचालकों को भी हो रही दिक्कत:-

    रात के समय खेतों से निकाले गए बेसहारा नील गाय भागते भागते सड़क पार करते हैं इससे रात के समय दुर्घटना होने का खतरा भी राहगीरों के लिए बना रहता है। दुर्घटना में घायल गायों को लेकर गौ सेवक प्रदर्शन करते है लेकिन आवारा घूम रही गायों की कोई सुध नहीं ले रहा है। किसानों ने प्रशासन व सरकार से माग की है कि नील गायों को पकड़वाकर जंगल में छुड़वाने के लिए उचित प्रयास किए जाए ताकि उनकी फसलें प्रभावित हो पाए।

    बाजार में भी आवारा पशुओं से है समस्या:-

    खेतों में ही नहीं बेसहारा पशुओं से बाजार के लोग भी खासे परेशान नजर रहे है। दुकानदार राजेश कुमार, अवनीश, सगान, सोमवीर सिंह आदि दुकानदारों ने बताया कि आवारा पशुओं से जाम की समस्या तो होती है इसके अलावा बाजार में आने वाले राहगीरों को अनेक बार पशुओं ने घायल भी किया है। दुकानदारों ने सरकार से माग करते हुए कहा है कि आवारा पशुओं के लिए विशेष प्रबंध किए जाने चाहिए ताकि लोगो को परेशानी से निजात मिल सके।