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'कुणबा' में झलकता है बुजुर्गो का दर्द

By Edited By: Published: Sun, 18 May 2014 06:32 PM (IST)Updated: Sun, 18 May 2014 06:32 PM (IST)

-हरियाणवी फिल्म में हिंदी का है प्रभाव

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-मुंबइया स्टाइल में प्रस्तुत की बिखरते परिवार की कहानी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : हरियाणवी फीचर फिल्म 'कुणबा' के कलाकार फिल्म के प्रमोशन के लिए रेवाड़ी के बीएमजी मॉल पहुचे, जिनमें फिल्म में सह निर्माता देवेंद्र यादव के अलावा विजय भाटोटिया, खूबराम सैनी, ऋषि सिंहल व बाल कलाकार सूरज यादव शामिल थे। इस फिल्म में बुजुर्गो का दर्द गहराई से झलकता है।

बुजुर्गो की बदहाली को व्यक्त करती इस पारिवारिक हरियाणवी फिल्म में प्रसिद्ध अभिनेता कादर खान, मुश्ताक खान, उतर कुमार, कविता जोशी के अलावा रेवाड़ी की 'बंजारा' संस्था के प्रसिद्ध रगकर्मी विजय भाटोटिया, खूबराम सैनी, ऋषि सिंहल, डा. उमाशकर यादव व सत्यप्रकाश सैनी ने अभिनय किया है। पीईबी के अध्यक्ष सतेंद्र प्रसाद टपूकड़ा वाले ने भी फिल्म में विशेष भूमिका निभाई है। इस फिल्म में केएलपी कालेज, शांति देवी ला-कालेज, रेवाड़ी के हार्ट मोती चौक बाजार के दृश्य भी फिल्माए गए है। प्रसिद्ध संगीतकार रवींद्र जैन ने इस फिल्म का संगीत दिया है। यह जानकारी बंजारा प्रेस सचिव योगेश कौशिक ने दी। उन्होने बताया कि निर्माता जसबीर चौधरी की इस हरियाणवी फीचर फिल्म की कहानी व पटकथा विजय भाटोटिया की है और इसका निर्देशन बालीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक यश चौहान ने किया है। इस फिल्म के लिए रेवाड़ी के सिनेमा हाल में दर्शकों में उत्साह देखने को मिला। दर्शकों ने 'कुणबा' की पारिवारिक कहानी, फिल्म का संगीत, कलाकारों का अभिनय व निर्देशन को सराहा। फिल्म की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें दर्शक उबता नहीं है और अंत तक इसका प्रभाव दर्शक के मन-मस्तिष्क पर रहता है। हालांकि हरियाणवी होते हुए भी दूसरे हिंदी प्रदेशों के दर्शक भी इस फिल्म का आनंद उठा सकते हैं। इसका मुख्य कारण फिल्म का संवाद। संवाद में हिंदी का प्रभाव सर्वत्र महसूस किया जा सकता है। फिल्म की मूल कथा भले ही बुजुर्गो की बदहाली की है, लेकिन दूसरे सामाजिक विसंगतियों को भी उठाया गया है। खासकर विधवाओं, लड़कियों आदि के प्रति पारंपरिक सोच को नये रूप में परिभाषित करने की सार्थक कोशिश की गई है। कुछ बंबइया टच कोने के बावजूद फिल्म को परिवार के साथ देखा जा सकता है। साराधना फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म में कहानी के साथ-साथ इसका संगीतपक्ष भी बेहतर है। सतपाल देसपाल, सुभाष शर्मा व अग्रेज सिंह के गीतों को प्रसिद्ध संगीतकार रवींद्र जैन, जेपी कौशिक व अशोक वर्मा के संगीत निर्देशन में सुनिधि चौहान, सुरेश वाडेकर, जसपिन्द्र नरूला, विनोद राठौड़, शिव निगम, दिलकार कौर एवं गुलाब सिंह ने अपने सुरों से संवारा है।


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