Haryana News: मारकंडा नदी का तटबंध दूसरी बार टूटा, 700 एकड़ फसल डूबी; तटबंध का 30 फीट का हिस्सा बहा
पानीपत में पहाड़ों पर वर्षा के कारण यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया है जो सुबह 45352 क्यूसेक से बढ़कर शाम को 54102 क्यूसेक हो गया। कुरुक्षेत्र के इस्माईलाबाद के पास मारकंडा नदी का तटबंध दूसरी बार टूट गया जिससे ठसका मीरां जी गांव के पास 700 एकड़ फसल डूब गई। अंबाला में मारकंडा का जलस्तर भी बढ़ गया।

जागरण टीम, पानीपत। पहाड़ों पर वर्षा से बुधवार को यमुना के बहाव में मामूली वृद्धि हुई। सुबह 10 बजे 45352 क्यूसेक था। शाम को पांच बजे बढ़कर 54102 क्यूसेक पर पहुंच गया। इस दौरान यमुना नदी में 39582 क्यूसेक, पश्चिमी यमुना नहर में 13010 व पूर्वी यमुना नहर में 1510 क्यूसेक रहा है। कुरुक्षेत्र के इस्माईलाबाद के नैसी गांव के निकट बुधवार की सुबह चार बजे मारकंडा नदी का तटबंध दूसरी बार टूट गया।
एक महीने पहले भी टूटा था तटबंध
एक महीने पहले भी तटबंध टूट गया था। दो दिनों से नदी में 27 हजार क्यूसेक पानी बह रहा था। ठसका मीरां जी गांव के पास लगभग 700 एकड़ फसल डूब गई। किसानों ने आठ घंटे के बाद तटबंध को पाट दिया। तटबंध का लगभग 30 फीट का हिस्सा बह गया। अंबाला के मुलाना में मंगलवार की देर रात करीब 11 बजे मारकंडा का जलस्तर बढ़कर 8.8 फीट करीब 41 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया।
कुरुक्षेत्र के गांव टबरा, मडाडों, शेरगढ़, जलबेहड़ा, जखवाला, जैतपुरा और जंधेड़ी तक तटबंध टूटने की सूचना पहुंचाई। पिहोवा गुरुद्वारा साहिब ने मशीन भेजी। किसानों ने ट्रैक्टरों और जेसीबी के माध्यम से टूटे हुए हिस्से तक मिट्टी पहुंचाई। किसानों ने खाली कट्टों को मिट्टी से भरा और उन कट्टों से टूटे हिस्से में दीवार खड़ी की। इस कार्य में जनसामान्य की भागीदारी देखी गई। सिंचाई विभाग की टीम कई घंटों तक मौके पर नहीं पहुंचा।
31 तक खुला रहेगा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल
प्रदेश सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल 31 अगस्त तक खुला रखने का निर्णय लिया है ताकि अत्यधिक बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति से प्रभावित सात जिलों के 188 गांवों के किसान फसल क्षति के दावे दर्ज कर सकें। बुधवार शाम को जिला उपायुक्तों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार हिसार के 85 गांव प्रभावित हैं।
भिवानी के 43, रोहतक के 21, पलवल के 17, चरखी दादरी के 13, रेवाड़ी के सात और सिरसा के दो गांवों के किसान पोर्टल पर अपनी खराब फसल की जानकारी दर्ज कर सकते हैं। जिला राजस्व अधिकारी/अधिकारियों द्वारा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर प्राप्त दावों का सत्यापन किया जाएगा और आंकलन के आधार पर निर्धारित मानकों के अनुसार मुआवजा जारी किया जाएगा। किसान अपनी फसल क्षति का पंजीकरण जल्द से जल्द कराएं।
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