गोबर से हर घंटे दो सौ किलो लकड़ी बनाएगी मशीन
रोटरी क्लब साउथ ने जीटी रोड स्थित गोशाला को गोबर से लकड़ी तैयार करने वाली मशीन दान की है। इसकी कीमत करीब 70 हजार रुपये है। खास बात यह कि गोबर से लकड़ी तैयार होने और उसकी बिक्री से गोशाला को करीब साढ़े तेरह लाख रुपये मासिक आमदनी होने की उम्मीद है। मशीन से एक घंटे में 200 किग्रा. लकड़ी तैयार होगी। सीधा अर्थ अब बेसहारा गोवंश व दूध नहीं देने वाले अन्य पशु भी आय का जरिया बनेंगे।
जागरण संवाददाता, पानीपत : गोशाला में गोबर से लकड़ी तैयार की जाएगी। वो भी एक घंटे में दो सौ किलो। इससे न केवल गोशाला की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। इस काम के लिए मदद की है रोटरी क्लब साउथ ने। जीटी रोड स्थित गोशाला को गोबर से लकड़ी तैयार करने वाली मशीन दान की है। इसकी कीमत करीब 70 हजार रुपये है। गोबर से लकड़ी तैयार होने और उसकी बिक्री से गोशाला को करीब 11 लाख रुपये मासिक आमदनी होने की उम्मीद है। अब बेसहारा गोवंश व दूध नहीं देने वाले अन्य पशु भी आय का जरिया बनेंगे।
क्लब के प्रधान प्रेम अरोड़ा ने बताया कि गोशालाओं और बेसहारा पशुओं की दयनीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसलिए नए प्रोजेक्ट के तहत गोबर से लकड़ी तैयार करने वाली मशीन डोनेट करने का निर्णय लिया। पंजाब में इस मशीन का गोशालाओं और बड़े डेयरी फार्म में खूब इस्तेमाल होता है। श्मशान घाटों में गोबर की लकड़ी से चिता जलाई जा रही हैं। दूसरे ईंधन की तुलना में इसे प्राथमिकता देते हैं। प्रोजेक्ट चेयरमैन धीरज मिगलानी ने कहा कि गोबर की लकड़ी को जलाने में इस्तेमाल करने से पेड़ों को कटने से बचा सकते हैं। इसका धुआं कम नुकसानदायक है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर नवनीत गोयल ने बताया कि लकड़ी के ईंधन का बाजार भाव करीब 10 रुपये प्रति किग्रा. है जबकि गोबर की लकड़ी पांच रुपये किग्रा. आसानी से बिकती है।
श्रीगोशाला सोसाइटी के प्रधान रामनिवास गुप्ता ने बताया कि गोशाला में इस समय करीब 3600 गोवंश हैं। एक गोवंश औसतन करीब चार किग्रा. और भैंस करीब आठ किग्रा. गोबर देती है। इस मौके पर राजेश चुघ, राजेश गुप्ता, रमन छाबड़ा, पुनीत दुआ, ओम लखीना, सुरेश गुप्ता, विपिल अग्रवाल मौजूद रहे। यह है आय का फॉर्मूला :
प्रति गोवंश रोजाना चार किग्रा. गोबर दे तो 3600 गोवंश 14 हजार 400 किग्रा. गोबर देंगे। सूखने के बाद उसका वजन करीब आधा, यानि 7200 किग्रा. लकड़ी बनेगी। पांच रुपये प्रति किग्रा. की दर से गोबर की लड़की बिके तो 10 लाख 80 हजार रुपये की मासिक आय होगी।
श्मशान के लिए खास प्रयोग :
श्मशान घाटों पर आमतौर पर सूखी लकड़ी मिलनी मुश्किल होती है। खासकर, बरसात के मौसम में तो मिलती ही नहीं है। यह लकड़ी पूरी तरह सूखी होगी। श्मशान के लिए लकड़ी तैयार करते समय वातावरण की शुद्धि के लिए इसमें कपूर भी डाल देते हैं।
भट्टों के लिए बुरादा मिश्रण :
गोबर की लकड़ी जब मशीन से निकलती है तो इसमें एक सुराख भी होता है, इससे आसानी से जलती है। ईंट भट्ठों व विभिन्न भट्टियों में भी इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए गोबर में लकड़ी या कोयले का बुरादा मिलाया जा सकता है, ताकि आंच देर तक सुलगती रहे।
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