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    बुआना के चैंपियन के सपने टूटे तो खूंटे से बनाया बॉक्सिंग रिंग, तैयार किए राष्‍ट्रीय-अंतरराष्‍ट्रीय बॉक्‍सर

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 04 Jan 2021 07:18 PM (IST)

    बुआना लाखू गांव के सुरेंद्र मलिक नेशनल चैंपियन रहे। आर्थिक तंगी से खेल छूट गया। वर्ष 2010 में खेत बॉक्सिंग रिंग बनाया। 50 से ज्यादा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाक्सर तैयार कर दिए। ये सब कुछ बिना सरकारी मदद के किया।

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    पानीपत के बुआना लाखू गांव के सुरेंद्र मलिक।

    पानीपत, [विजय गाहल्‍याण]। बुआना लाखू गांव के सुरेंद्र मलिक प्रतिभावान बाक्सर रहे। नेशनल और आल इंडिया यूनिवर्सिटी बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते। दो एकड़ जमीन थी। परिवार आर्थिक खर्च नहीं उठाया। उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने का सपना पूरा नहीं हो पाया। इसका उन्हें मलाल था। बॉक्सिंग को छोडऩा नहीं चाहते थे। फट्टे लगा बॉक्सिंग रिंग बनाने की हैसियत नहीं थी।

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    वर्ष 2010 में बिना सरकारी मदद के गांव से करीब दो किलोमीटर दूर अपने खेत में मिट्टी डाली और चारों तरफ खूंटे से रिंग बनाया। रिंग दूर होने के कारण स्वजन बेटियों को अभ्यास के लिए नहीं भेजना चाहते थे। स्वजनों को विश्वास दिलाया कि बेटियां सुरक्षित रहेंगी। सुरेंद्र के जुनून को देख बेटे और बेटियां रिंग में पहुंची। उनके पास 80 से ज्यादा लड़के व लड़कियां बॉक्सिंग का अभ्यास करते हैं। इसी का नतीजा है कि 50 से ज्यादा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय बाक्सर तैयार किए। स्टेट चैंपियन की संख्या का आंकड़ा 70 पार है। दस बाक्सर  फौज व अन्य सरकारी महकमों में खेल कोटे से नौकरी भी पा चुके हैं। आर्थिक रूप से कमजोर 25 बाक्सरों को मुफ्त में ट्रेनिंग देते  हैं।

    सोनीपत के बाक्सर भी ट्रेनिंग लेते आते हैं

    वर्ष 2009 में सुरेंद्र ने पहले गांव के सरकारी स्कूल में बाक्सिंग का अभ्यास शुरू कराया था। यहीं पर क्रिकेट और  एथलेटिक्स के खिलाड़ी अभ्यास करते थे। इससे बाक्सरों को असुविधा हुई तो उन्होंने खेत में रिंग बना दिया। यहां पर पड़ोसी गांव के पूठर, शाहपुर, बिजावा, बांध, मांडी, ग्वालड़ा, पलड़ी, सोनीपत के शामड़ी और चिड़ाना गांव के बाक्सर अभ्यास के लिए आते हैं।

    ये चैंपियन बाक्सर तैयार किए

    रजनी, मनीषा, जोनी और निशा अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर हैं। इसी तरह से बिंदु, प्रियंका, सुरभी और कीर्ति राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीत चुकी हैं। मनीषा ने रेलवे, निशा, ङ्क्षप्रयका, कीर्ति व जोनी ने आइटीबीपी, बिंदु ङ्ने एसएसबी, सोनिया ने हरियाणा पुलिस, राममेहर व रवींद्र, अनिल ने आर्मी, नीरज ने बीएसएफ और  सोनिया ने सीआरपीएफ में खेल कोटे से नौकरी पाई है।

    मंत्री विज ने की तारीफ

    वर्ष 2015 में तत्कालीन खेल मंत्री अनिल विज ने सुरेंद्र मलिक और उनके बाक्सरों की तारीफ की थी। डीसी ने आश्वासन दिया था कि मैट वाला रिंग दिया जाएगा। चार साल से वे डीसी और जिला खेल अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगाते रहे। इसके बावजूद रिंग नहीं मिला। बाद में उन्होंने एक मैट वाला रिंग भी खरीदा।

    मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने रजनी को सराहा था

    प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने  1 जनवरी 2019 को अपने 51वें मन की बात कार्यक्रम में बुआना लाखू की बाक्सर बेटी रजनी कश्यप के जज्बे और लस्सी बेचने वाले पिता जसमेर कश्यप के संघर्ष को सराहा था। उन्होंने रजनी की विषम परिस्थितियों में सब जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने की प्रशंसा की। पीएम ने कहा कि पदक जीतने के बाद रजनी ने दूध पीया, वह इसलिए क्योंकि बेटी को चैंपियन बनाने के लिए पिता लस्सी बेच रहे हैं।

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