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अंबाला रेल मंडल का अनोखा मामला, बेटे की विदेश यात्रा में कानूनी अड़चन न आए, दिव्यांग पिता को बनाया आरोपित

अंबाला रेलवे मंडल के फाटक में बेटे ने टक्‍कर मार दी। उसकी विदेश यात्रा में कोई समस्‍या न आए इस वजह से पिता को आरोपित बना दिया। रेल मंत्रालय पहुंचा मामला तो दस्तावेज खंगालने से पता चला कि दिव्यांग पिता चला नहीं सकता था एक्टिवा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 04:45 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 04:45 PM (IST)
अंबाला रेलवे मंडल का अनोखा मामला सामने आया।

अंबाला, [दीपक बहल]। विदेश जाने के लिए किसी प्रकार की कानूनी अड़चन न आए इससे बचने के लिए बेटे ने एक मामले में दिव्यांग पिता को ही आरोपित बना दिया। हालांकि इस मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने भी एफआइआर लिखने में खेल किया था। एफआइआर दर्ज करने वाले ने यह भी नहीं देखा कि जिस 65 वर्षीय वृद्ध को रेलवे फाटक को स्कूटी से टक्कर मारने के मामले में आरोपित बना रहे हैं वह दिव्यांग है और स्वचालित दोपहिया वाहन नहीं चला सकता। यह अनोखा मामला अंबाला रेल मंडल के पटियाला रेलवे स्टेशन का है। किसी ने इस मामले की शिकायत रेल मंत्रालय को भेज दी। इसके बाद पुराने दर्ज मुकदमे के दस्तावेज खंगाले गए और दोबारा से जांच कर बयान लिए गए। मामला साफ होने के बाद अब आरपीएफ के इंस्पेक्टर और जांच अधिकारी खुद उलझ गए हैं। अंबाला से दोनों के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट जारी कर दी जाएगी।

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बेटे ने 8 दिसंबर 2020 को फाटक में मारी थी टक्कर

असल में 8 दिसंबर 2020 को पटियाला रेलवे स्टेशन के पास रेलवे फाटक में एक युवक ने एक्टिवा से टक्कर मार दी। इसके बाद आरोपित फरार हो गए और आरपीएफ ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी। आरपीएफ ने करीब 65 साल के बुजुर्ग को आरोपित बना दिया, जिसे बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई। जबकि बुजुर्ग दिव्यांग एक्टिवा चलाने में असमर्थ था।

इस वजह से पिता को बनाया आरोपित

दरअसल, यह मामला सारा दिव्यांग बुजुर्ग के बेटे के विदेश जाने से जुड़ा था। बेटे की विदेश यात्रा में कोई खलल न पड़े इसलिए आरपीएफ ने उसके पिता को आरोपित बना दिया। कुछ समय बाद किसी ने रेल मंत्रालय को लिखित शिकायत कर दी। डीजी आरपीएफ के आदेश पर जांच शुरू की गई। असिस्टेंट कमांडेंट अजय भारद्वाज ने जांच की। गेटमैन के बयान दर्ज किए, जिसमें उसने बताया कि फाटक को टक्कर मारने वाला युवा थे, जबकि मुकदमे में बुजुर्ग को आरोपित बनाया गया था। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दे दी, जिसके बाद आरपीएफ इंस्पेक्टर की मुश्किलें बढ़ गईं। इसी बीच इंस्पेक्टर का तबादला हो गया और राजेंद्र सैनी ने पोस्ट की कमान संभाली। दर्ज मुकदमे की जांच की गई, जिसमें दिव्यांग के बेटे की मोबाइल लोकेशन फाटक के पास पाई गई। बाद में दिव्यांग के पुत्र को ही आरोपित बनाया गया और जांच में शामिल तफ्तीश किया गया। अब बुजुर्ग को इस मुकदमे से डिस्चार्ज करवाया जाएगा। वहीं कोरोना के कारण आरोपित युवक विदेश भी नहीं जा सका।

कार्रवाई की जा रही है : सीनियर कमांडेंट

आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट नीतिश शर्मा ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। बुजुर्ग को एक्टिवा चलानी नहीं आती थी, लेकिन हादसे में उसे ही आरोपित बनाया गया था। इस मामले में जो भी जिम्मेदार कर्मचारी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।


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