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    गंभीर बीमारियों का इलाज छिपा है आपकी लार में, जानिए इसके फायदे Panipat News

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 12 Aug 2019 06:11 PM (IST)

    टायलीन नाम एंजाइम लार में होता है जो पाचन क्रिया में काफी फायदेमंद होता है। तो आइए और फायदे जाते हैं लार के।

    गंभीर बीमारियों का इलाज छिपा है आपकी लार में, जानिए इसके फायदे Panipat News

    पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। मुंह की लार में औषधीय गुण होते हैं। गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज लार से संभव है। ये हैरान कर देन वाला जरूर है, लेकिन सच है। टायलीन नामक एंजाइम लार में होता है, जो पाचन क्रिया के लिए काफी अहम माना जाता है। हजारों साल पहले ऋषि बाग्वट ने लार के औषधीय गुणों के बारे में अपनी एक रचना में बताया है। 

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    एक स्वस्थ व्यक्ति के मुंह में एक दिन में 1000 से 1500 मिलीलीटर लार बनती है। लार में एंजाइम व इलेक्ट्रोलाइट जैसे यौगिक होते हैं। यह मुंह में होने वाले संक्रमण से दूर रखती है। मुंह में दुर्गंध नहीं होने देती और हानिकारक बैक्टीरिया से निजात दिलाती है। इसलिए इसे थूकने में जाया न करें। यह कहना है एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली का। दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में उन्होंने कहा कि सुबह की लार घाव पर लगाने से जल्दी भर जाता है। 

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    डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली।

    प्रश्न : शरीर में ज्यादातर बीमारियों की शुरुआत मुंह से होती है इसके पीछे क्या कारण है?
    डॉक्टर : शरीर में बीमारियों की शुरुआत पेट से होती है। यदि पेट सही है तो सब सही है। पेट सही रखने के लिए पानी तो पीना है। पर उसे सुबह के समय बिना मंजन किए सिप-सिप करके पीना होता है। इससे मुंह में जो लार बनी हुई है वह पेट में जाकर एसिड नहीं बनने देती। गैस की समस्या नहीं होने देती। पाचन शक्ति मजबूत करती है। 

    प्रश्न : जैसी बीमारियों पर भी इसका असर होता है?
    डॉक्टर : यदि आपकी लार ग्रंथि ठीक नहीं है। उसमें सूखापन है तो पथरी की समस्या हो सकता है। ऐसे में चिकित्सक से इसकी जांच जरूर करा लें। गुटखा खाने वाले लोग बार-बार थूकते हैं इसलिए कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। उनके मुंह में लार की कमी हो जाती है। यदि आप भी कम लार बनने कि समस्या से पीडि़त हैं तो तुरंत इलाज कर लीजिए या फिर आप नीम की दातुन भी कर सकते हैं। 

    प्रश्न : थूकने से दूसरे को भी संक्रमण हो सकता है क्या? 

    उत्तर : स्वाइन फ्लू, टीबी जैसी बैक्टीरिया वाली बीमारियां एक से दूसरे को हो सकती है। अगर संक्रमित व्यक्ति खुले में थूक देता है तो सूखने के बाद वह थूक के साथ निकला बैक्टीरिया धूल या हवा के साथ दूसरे व्यक्ति के भीतर जाकर उसे भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए खुले में थूकने से भी परहेज करना चाहिए। 

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