इस बार शनैश्चरी अमावस्या पर संकेत शुभ नहीं, बनेंगे राजनीति के नए समीकरण
चार मई को शनैश्चरी अमावस्या पड़ रही है। शनैश्चरी अमावस्या पर वक्री शनि केतु के साथ मंगल से षडाष्टक योग शुभ नहीं है। ...और पढ़ें

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। इस बार राजनीति के नए समीकरण बनेंगे। चार मई को शनैश्चरी अमावस्या में बन रहा संयोग इसका संकेत दे रहा है। हिंदू पंचांग में अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिषियों के अनुसार सोमवार, मंगलवार अथवा शनिवार को अमावस्या पड़ती है तो यह किसी पर्व से कम नहीं होगा। व्यक्ति के जीवन में इस दिन का दान खास महत्व रहता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. रामराज कौशिक का कहना है कि इस वर्ष यानी 2019 को पूरे साल में तीन शनैश्चरी अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। पहली शनैश्चरी अमावस्या जनवरी को थी, दूसरी शनैश्चरी अमावस्या चार मई को पड़ रही है। वैशाख माह और शनि का दिन होने के कारण इसकी महत्ता कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। इस शनेश्चरी अमावस्या पर ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है।
विध्वंसक योग बन रहा
इस समय शनि महाराज वक्री होकर मंगल से षडाष्टक कर रहे हैं और केतु के साथ बैठे हैं। राहू के साथ समसप्तक कर रहे हैं यह विध्वंसक योग बन रहा है। कई देशों में भूकंप, बाढ से तबाही के संकेत मिल रहे है। अग्निकांड और प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन की हानि तो बड़े राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी। राजनीति में नए समीकरण भी बनेंगे।
इस तरह व्यवसाय को लग सकते हैं चार चांद
ज्योतिषाचार्य डॉ. रामराज कौशिक का कहना है कि अगर आपके ग्रह में शनि का कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तो शनेश्चरी अमावस्या के दिन दोपहर के समय विशेष पूजा करने से शनि की पीड़ा शांत होती है। व्यवसायियों की बात करें तो इस दिन अगर वे सच्ची आस्था और लगन से शनि की उपासना करें तो व्यवसाय को चार चांद लग सकते हैं। इस दिन उपासक कच्ची घानी अथवा तिल के तेल का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें तो खासा लाभ हो सकता है।

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