पथरी के कारण युवक को गंवानी पड़ गई किडनी, आयुष्मान ने बचाई जान Panipat News
करनाल के गांव संवई निवासी मजदूर के बेटे अक्षय की किडनी में पथरी होने से उसे एक किडनी गंवानी पड़ी है। मुसीबत की इस घड़ी में आयुष्मान भारत योजना ने संजीवनी का काम किया।
पानीपत, जेएनएन। करनाल के गांव संवई निवासी मजदूर महेंद्र के 20 वर्षीय पुत्र अक्षय की किडनी में 40 एमएम की पथरी होने से उसे एक किडनी गंवानी पड़ी है। मुसीबत की इस घड़ी में आयुष्मान भारत योजना ने संजीवनी का काम किया। डॉ. प्रेम अस्पताल में तीन दिन पहले ही उसकी सर्जरी हुई है। फिलहाल स्वस्थ है और दोबारा स्कूल जाने का सपना देखने लगा है।
अक्षय के पिता महेंद्र और दो बड़े भाई दिहाड़ी मजदूर हैं। उसका छोटा भाई अभिषेक कक्षा 12 में पढ़ रहा है। अक्षय की कक्षा 10 में कंपार्टमेंट आई थी, लेकिन उसने दोबारा परीक्षा नहीं दी। डॉ. प्रेम अस्पताल के सामान्य वार्ड में उपचाराधीन अक्षय ने बताया कि कमर और पेट में दर्द रहता था, लेकिन उसने कभी अधिक ध्यान नहीं दिया। एक सप्ताह पहले असहनीय दर्द हुआ तो उसे गांव में ही एक डॉक्टर को दिखाया गया। चिकित्सक ने गुर्दे में पथरी बताई।
इलाज के लिए पैसे नहीं थे
जनवरी में बना आयुष्मान भारत योजना का गोल्डन कार्ड लेकर परिजन प्रेम अस्पताल मे आए। यहां जांच की गई तो पता चला कि 40 एमएम की पथरी से किडनी खराब हो चुकी है। डॉक्टरों ने बताया कि किडनी निकालनी पड़ेगी। लिखित अनुमति के बाद चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया, अब स्वस्थ हूं। आयुष्मान भारत योजना नहीं होती तो माता-पिता चाह कर भी इलाज नहीं करा पाते।
दो सर्जरी हुईं
सर्जरी करने वाले यूरोलॉजिस्ट डॉ. रवीश राठी ने बताया कि दो सर्जरी हुई हैं, पहले पथरी निकाली गई। इसके बाद किडनी को निकाला गया। कैश में इलाज कराया जाए तो खर्च करीब सवा-डेढ़ लाख आता है। आयुष्मान योजना निश्चित तौर पर पात्र परिवारों के लिए संजीवनी साबित हो रही है।
दर्द है तो न करें नजरअंदाज
गुर्दे की पथरी से पीठ या पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द हो सकता है। उल्टी की शिकायत भी हो सकती है। पेशाब में खून आ सकता है। बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब की नली में दर्द भी इसके लक्षणों में शामिल हैं। डॉ. रवीश राठी के मुताबिक पथरी बनने दस-पंद्रह दिन बाद ही किडनी को नुकसान होना शुरू हो जाता है। करीब एक-डेढ़ साल में पथरी किडनी को पूरी तरह नष्ट कर देती है। योजना में संशोधन की जरूरत आयुष्मान भारत योजना में संशोधन की आवश्यकता है। चिकित्सकों के मुताबिक अभी भी बहुत से जरूरतमंद परिवारों का नाम सूची में नहीं है, इसका विस्तार होना चाहिए। इलाज से ठीक पहले की जांच,बाद की मेडिसिन का खर्च भी योजना में शामिल किया जाए तो मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा। गोल्डन कार्ड बनने की गति धीमी है, सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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