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ये है काजोल वाली रियल हेलीकॉप्टर ईला, हड़ताल ने दिया मौका

निर्देशक प्रदीप सरकार की हाल ही में रिलीज काजोल अभिनीत मूवी हेलीकॉप्टर ईला तो अच्छे से याद होगी। कुछ ऐसा ही रियल जिंदगी में भी देखने को मिल रहा है। इस खबर में पता चलेगा सब कुछ...।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 03:07 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 05:48 PM (IST)
ये है काजोल वाली रियल हेलीकॉप्टर ईला, हड़ताल ने दिया मौका

जेएनएन, पानीपत। हेलीकॉप्टर ईला, मूवी तो अच्छे से याद होगी। हां, काजोल और रिद्धि सेन की मूवी। मां काजोल और बेटा रिद्धि एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। कुछ ऐसा ही है एक मां और बेटी की रियल लाइफ में। आखिर क्या हुआ उनके जीवन में, पढि़ए दैनिक जागरण की ये खबर।

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रोडवेज की हड़ताल ने बेटी के साथ एक ही कॉलेज में पढ़ रही मां को कॅरियर की राह दिखाई। हालांकि इसके लिए रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को धन्यवाद देना चाहिए। आखिर वहीं से एक मां के कॅरियर की शुरुआत हो रही है। हम बात कर रहे हैं करनाल की सुमन और उसकी बेटी सिमरन की।

हड़ताल में नजर आई सुखी जीवन की रोशनी

रोडवेज की हड़ताल से हर कोई परेशान था। इस तकलीफ में ऐसा भी है, जो किसी के लिए एक अवसर की तरह आया। करनाल की सुमन अरोड़ा ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह एक दिन कंडक्टर के पद की उम्मीदवार होगी। उसे यह मौका मिला रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल से। वैकेंसी देख सुमन को लगा अच्छा मौका है। बस पहुंच गई आवेदन करने।

करनाल डिपो की पहली महिला कंडक्टर

सुमन ने बताया कि यदि मौका मिला तो अच्छा काम करेंगी। यह चैलेंजिंग जॉब है। इसलिए खुशी भी अधिक होगी। उसे यह नहीं पता था कि यदि वह चुनी जाती है तो करनाल में हरियाणा रोडवेज में पहली महिला कंडक्टर होगी।

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सुमन की बेटी सिमरन।

मां-बेटी एक साथ कर रहीं पढ़ाई

सुमन की बेटी सिमरन मां के साथ इग्नू से ग्रेजुएशन कर रही है। वह इग्नू से समाजशास्त्र में बीए कर रही है। यहीं पर उनके साथ उसकी बेटी सिमरन भी उर्दू में बीए कर रही है। इग्नू के इतिहास में यह भी रिकार्ड है। जब मां-बेटी एक साथ ग्रेजुएशन कर रहे हों। उसके पति अशोक कुमार पानीपत में बीएएमएस हैं। 2017 में उसने डाइटिशियन का कोर्स किया। रेडक्रॉस से फर्स्‍ट एड का कोर्स ज्वाइन किया। यहीं पर पता लगा कि इस कोर्स को करने के बाद वह कंडक्टर पद के उम्मीदवार की योग्यता भी पूरी कर रही है।

हैवी व्हीकल का लाइसेंस तक बनवा डाला

इसके लिए और क्या करना होगा, सुमन ने सब कुछ पता किया। उसे पता चला कि इसके लिए हैवी लाइसेंस बनवाना होगा। उसने हैवी वाहन चलाना सीख लाइसेंस बनवाया। उसने बताया कि कई दिन से वह हड़ताल की न्यूज सून रही है। उसे लगा कि यह मौका है, जिससे वह कुछ अलग कर सकती है। बस इसलिए आवेदन कर दिया है।

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सुमन का परिचय, काजोल की तरह बेटी को समझाती हैं

इसी साल नवंबर में सुमन को महिला पुलिस वॉलंटियर के रूप में काम करते हुए दो साल पूरे हो जाएंगे। निशुल्क सेवा करते हुए उन्होंने अब तक 200 केसों पर काम किया है। इसके अलावा डाइटिशियन का डिप्लोमा व फर्स्‍ट एड की जानकारी होने से वे आंगनबाड़ी और करनाल रेलवे स्टेशन के साथ लगती बस्ती में भी महिलाओं और बच्चों को जागरूक कर रही है।

परिवहन मंत्री भी खुश

आज सुमन अकेली थी जो फार्म जमा कराने वाली लाइन में अकेली डटी थी। वहीं परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार का कहना है कि सुमन योग्यता पूरी करेगी तो नियुक्ति देकर खुशी होगी। गर्व है कि सुमन जैसी महिलाएं उस मिथ को तोड़ रही हैं कि कुछ काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं। जहां तक नौकरी की बात है, यदि वें इस पद की सारी शर्त पूरी करती होंगी तो निश्चित ही उन्हें इस पद पर नियुक्ति देकर हमें खुशी मिलेगी।

कंडक्टर की भर्ती में अकेली महिला

रोडवेज करनाल के जीएम अश्वनी डोगरा ने बताया कि अभी तक एक ही अकेली उम्मीदवार फार्म जमा कराने पहुंची है। उन्होंने यह भी बताया कि सुमन यदि इस पद के लिए चुनी जाती है तो वह यहां इस पद पर पहली महिला होगी।

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