संपूर्ण व्यायाम है सूर्य नमस्कार, रोज करें तो पास नहीं फटकेगी बीमारी, ये होते हैं फायदे
शुरुआत में सूर्य नमस्कार का अभ्यास धीरे-धीरे करें। एक बार सभी आसन सीखने के बाद धीरे-धीरे शरीर अनुकूल स्थिति में आने लग जाता है। जो व्यक्ति योग को अपनी जीवन शैली का अंग बना लेते हैं उन्हें आखिरी सांस तक कोई बीमारी नहीं हाेती।
जागरण संवाददाता, जींद। करो योग रहो निरोग। जी हां, हर रोज योग करें तो बीमारी कभी पास नहीं फटकेगी। योग में कोई व्यक्ति ज्यादा कुछ नहीं कर सकता तो सूर्य नमस्कार ही कर ले तो यही बहुत है। बारह आसनों को मिलाकर सूर्य नमस्कार बनाया गया है। इस आसन का बहुत ज्यादा महत्व है। जो व्यक्ति हर रोज पांच बार सूर्य नमस्कार की सभी 12 क्रियाएं कर लेता है, उसके शरीर में कोई भी बीमारी नहीं आती। इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि शुरू में सूर्य नमस्कार को किसी योग्य गुरु की देखरेख में ही करना चाहिए।
विश्व चैंपियन योगाचार्य जोरा सिंह आर्य कहते हैं कि शुरुआत में सूर्य नमस्कार का अभ्यास धीरे-धीरे करें। एक बार सभी आसन सीखने के बाद धीरे-धीरे शरीर अनुकूल स्थिति में आने लग जाता है। जो व्यक्ति योग को अपनी जीवन शैली का अंग बना लेते हैं, उन्हें आखिरी सांस तक कोई बीमारी नहीं हाेती। आसन करते समय शरीर के साथ कभी भी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए, बल्कि आसन को अपने आप होने देना है। आराम से जितना हो सके, उतना ही करें। सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर लचीला बनता है। इसलिए शरीर को गतिशील बनाने के लिए हल्के-फुल्के व्यायाम करने चाहिए।
शरीर को गतिशील बनाता है
आसनों में सूर्य नमस्कार का अभ्यास ऐसा अभ्यास है, जो शरीर को गतिशील बनाने में सहायक सिद्ध होता है। योगासनों का अभ्यास करते समय सूर्य नमस्कार से शुरुआत करें तो शरीर सभी आसनों के अनुकूल रहेगा। सूर्य नमस्कार का अर्थ देव स्तुति, उपासना से भी करते हैं। यह आसन चित्त की वृत्तियों को शांत करके मन को एकाग्र चित्त करता है।
ओम के उच्चारण से प्रारंभ करना चाहिए आसन
प्रत्येक आसन का प्रारंभ ओम के उच्चारण से करना चाहिए, इससे आध्यात्मिक लाभ होता है। सूर्य नमस्कार से प्रत्येक अंग का व्यायाम हो जाता है। कोई भी महिला या पुरुष, अधिक कुछ भी ना कर सके तो केवल 5 बार सूर्य नमस्कार ही कर ले। इससे शरीर हमेशा तंदुरुस्त बना रहेगा। इसीलिए सूर्य नमस्कार को संपूर्ण व्यायाम भी माना जाता है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन
पहला: हाथ जोड़कर सीधे खड़े हो जाएंगे।
दूसरा आसन हस्त उत्तानासन है। इसमें दोनों भुजाओं को सिरे के ऊपर उठाकर पीछे लेकर जाएंगे।
तीसरा आसन पादहस्तान है। इसमें पैर सीधे रखते हुए आगे झुकेंगे।
चौथा आसन अश्व संचालनासन है।
पांचवां आसन पर्वतासन है।
छठा आसन अष्टांग नमस्कार है।
सातवां आसन भुजंगासन है।
आठवां आसन पर्वतासन है।
नौवां आसन अश्व संचालनासन है।
दसवां आसन पादहस्तासन है।
ग्यारहवां आसन हस्त उत्तानासन है।
और बारहवें आसन में फिर प्रार्थना की मुद्रा में आ जाएंगे।
इस तरह सूर्य नमस्कार में पांच आसन दो बार करने होते हैं।
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