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    Stubble Management: यमुनानगर में किसान फसल अवशेषों के प्रबंधन को दे रहे तरजीह, पराली जलाने के मामले कम

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 02 Nov 2021 08:59 AM (IST)

    धान की कटाई के बाद किसान सुपर सीडर से फानों की बीच ही गेहूं की बिजाई करना अधिक मुनासिब समझ रहे हैं। इसके कई फायदे हैं। पहला खेत की जुताई करने की आवश्यकता नहीं होती। दूसरा जमाव अच्छा रहता है। खाद-खुराक गेहूं के दाने के साथ डलता है।

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    यमुनानगर में किसान फसल अवशेष प्रबंधन को दे रहे तरजीह।

    यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर के किसान फसल अवशेषों के प्रबंधन को तरजीह दे रहे हैं। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। गत वर्ष जहां पराली जलाने पर 248 चालान हुए थे। छह लाख 35 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। वहीं, इस बार केवल 47 चालान हुए। अब तक एक लाख 75 हजार जुर्माना लगा है। पिछले तीन साल की यदि बात की जाए तो इस बार चालान सबसे कम हुए हैं। बता दें कि जिले में करीब 88 हजार हेक्टेयर में थी। करीब 82 हजार हेक्टेयर पर कटाई हो चुकी है।  साढौरा व बिलासपुर एरिया में कुछ एरिया धान का रहता है।  

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    किस वर्ष कितने चालान

      वर्ष          चालान          जुर्माना

    2017             11           दो लाख 75 हजार

    2018            112           दो लाख 82 हजार 

    2019             116          दो लाख 90 हजार 

    2020             248           छह लाख 35 हजार

    2021               47             एक लाख 75 हजार

    सुपर सीडर की ओर रुझान

    धान की कटाई के बाद किसान सुपर सीडर से फानों की बीच ही गेहूं की बिजाई करना अधिक मुनासिब समझ रहे हैं। इसके कई फायदे हैं। पहला खेत की जुताई करने की आवश्यकता नहीं होती। दूसरा, जमाव अच्छा रहता है। खाद-खुराक गेहूं के दाने के साथ डलता है। जिससे पौधे को लाभ मिलता है। धान के अवशेषों में सुपर सीडर से बिजाई करने पर प्रदूषण की समस्या से निजात मिलती है।  भूमि की उपजाऊ शक्ति में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आती है। पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है। सुपर सीडर से अवशेषों के बीच गेहूं की स्वस्थ फसल पैदा होती है। सिंचाई की कम जरूरत पड़ती है। फसल के गिरने की संभावना न के बराबर रहती है। किसान फसल अवशेषों की गांठें भी बनवा रहे हैं। 

    यह है जलाने का नुकसान 

    खेतों में जल रहे फसल अवशेष जमीन को बंजर कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक एक टन धान की पराली जलाने से मिट्टी में 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन सल्फर 12 किलोग्राम, पोटाश 2.3 किलोग्राम व आर्गेनिक कार्बन 400 किलोग्राम पोषक तत्वों की हानि होती है। प्रदूषित कण शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों में सूजन सहित इंफेक्शन, निमोनिया और हार्ट की बीमारियां का कारण बनते हैं। खांसी, अस्थमा, डाइबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

    किसानों का किया जा रहा जागरूक

    कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. जसविंद्र सैनी ने बताया कि किसान फसल अवशेष प्रबंधन को अधिक तरजीह दे रहे हैं। इस संबंध में किसानों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है। साथ ही सख्ती से भी निपटा जा रहा है। खेत में पराली जलाने पर जुर्माना किया जा रहा है।