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    हरियाणा: पढ़ाई के सपने थे, पहुंचे जंग के मैदान में... परिजन को आस- 'पुतिन आए हैं तो उनके लाल भी लौटेंगे'

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 01:57 PM (IST)

    हरियाणा के कई युवा रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर हैं। परिजनों ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है, क्योंक ...और पढ़ें

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    रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे ये युवा (फाइल फोटो)

    जागरण टीम, हिसार/पानीपत। रूस-यूक्रेन युद्ध के चौथे वर्ष में उसकी गूंज हरियाणा तक महसूस हो रही है। हरियाणा के कई युवा रूसी सेना के साथ युद्ध में फंसे हैं। 4 दिसंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत यात्रा पर पहुंचने से स्वजन को उम्मीद जगी है। स्वजन ने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय को आग्रह भेजकर मुद्दा रूस के शीर्ष नेतृत्व तक उठाने की मांग की है।

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    स्वजन का आरोप है कि एजेंटों ने झांसा देकर युवकों को पढ़ाई या नौकरी के नाम पर रूस भेजा और फिर वहां के लोकल नेटवर्क ने धोखे से उन्हें रूसी सेना में भर्ती करवा दिया। विदेश मंत्रालय की 7 नवंबर के बयान के अनुसार 44 भारतीय रूसी सेना में शामिल हैं। स्वजन का कहना है कि ये संख्या इससे अधिक है, क्योंकि कई युवक पढ़ाई या काम के नाम पर गए थे, जिनका रिकार्ड बाद में मिलिट्री सिस्टम में जोड़ दिया गया।

    ‘मेरी जान को खतरा है’ ये वीडियो भेजा था रोहतक के संदीप ने, इसके बाद कोई संपर्क नहीं

    रोहतक के तैमूरपुर गांव के संदीप की कहानी भी ऐसी ही है। वह सितंबर 2024 में चरखी दादरी के एक एजेंट के माध्यम से रूस गया था। स्वजन को कहा गया था कि उसे पढ़ाई के साथ कुक का काम मिलेगा, पर वहां पहुंचते ही एजेंटों ने उसके हाथ में बंदूक थमा दी। हाल ही में उसने एक वीडियो भेजा था कि मेरी जान को खतरा है, दिन में एक बार खाना मिलता है, बंकर से बाहर नहीं निकल सकते। वीडियो के बाद संपर्क पूरी तरह टूट गया।

    दो मौतों की पुष्टि

    मौत का संदेश लेकर आया रूस से पत्र, हिसार के सोनू की ड्रोन हमले में मौत मदनहेड़ी गांव का सोनू (28) मई 2024 में विदेशी भाषा का कोर्स करने रूस गया था। 3 सितंबर को उसने आखिरी बार फोन कर कहा था कि मुझे जबरन आर्मी में भर्ती कर रहे हैं, युद्ध में भेजा जा सकता है। 6 अक्टूबर को रूस की सेना के एक अधिकारी का पत्र आया कि सोनू की यूक्रेन में ड्रोन हमले से मौत हो गई। परिवार पर मानो पहाड़ टूट गया। भाई अनिल अब भी सवाल पूछता है कि आखिर पढ़ाई करने गया था, इसे मोर्चे पर क्यों भेज दिया गया।

    कैथल के कर्मचंद की बमबारी में मौत, डेढ़ महीने बाद स्वदेश पहुंचा था शव

    कैथल के जनेदपुर गांव का कर्मचंद (22) जर्मनी जाना चाहता था, पर एजेंट ने उसे रूस पहुंचा दिया। वहां सेना में भर्ती कर उसे युद्ध में भेजा गया। 6 सितंबर को बम गिरने से उसकी मौत हो गई। शव 17 अक्टूबर को भारत लौटा, अगले दिन अंतिम संस्कार हुआ। परिवार अब भी यह मानने को तैयार नहीं कि उनका बेटा अब वापस नहीं आएगा।

    अंबाला का जावेद भी लापता

    अंबाला के मोहम्मद जावेद (32) की कहानी और भी दर्दनाक है। वह अगस्त 2025 में बेहतर कमाई की उम्मीद से रूस गया था। पहले मजदूरी करता रहा, फिर एक एजेंट के झांसे में आ गया। एजेंट ने कहा कि उसे ‘बंकर खोदाई’ का काम मिलेगा। रूस में एक कर्नल ने संपर्क कर सेना में मजदूर के तौर पर भर्ती होने का प्रस्ताव दिया।

    15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उसे बार्डर पर भेज दिया गया। शुरुआत में वह रोज परिवार से बात करता था, फिर अचानक 23 दिन पहले आखिरी बार काल आया कि मेरे बच्चों और पत्नी का ख्याल रखना। उसके बाद फोन बंद है। घर में मां, पत्नी, तीन छोटे बच्चे और एक बहन है, सभी उसकी एक झलक के इंतजार में हैं।

    फतेहाबाद: स्टडी वीजा पर गए अंकित-विजय डेढ़ महीने से लापता, परिवार रो-रोकर दिन काट रहा फतेहाबाद के कुम्हारिया गांव के दो युवक अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया रूस में फंसे हुए हैं। परिवार का उनसे डेढ़ महीने से कोई संपर्क नहीं है। अंकित ने भाई रघुवीर को 11 सितंबर को आखिरी बार मैसेज किया था। उसके बाद फोन बंद है। इसी गांव का विजय पूनिया पहले जुलाई 2024 में स्टडी वीजा पर रूस गया, फिर मार्च 2025 में लौट आया। बाद में जुलाई 2025 में बिजनेस वीजा पर वापस रूस गया। परिवार को लगता था कि वह सुरक्षित है।

    हिसार: अमन ने कहा था- ‘यहां कभी भी मौत हो सकती है’ अब फोन बंद आ रहा हिसार के मदनहेड़ी गांव का अमन 2024 में स्टडी वीजा पर रूस गया था। मां सुमन का कहना है कि एजेंटों ने उसे धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेज दिया। अमन का आखिरी वीडियो परिवार तक पहुंचा था, जिसमें उसने कहा था कि हालात बहुत खराब हैं, यहां कभी भी मौत हो सकती है। अब परिवार का रोना नहीं थम रहा। मां का कहना है कि सरकार हमारे बेटे को बचा ले, वह पढ़ने गया था, मरने नहीं।