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    कपालमोचन सरोवर पर लगे पवित्र बरगद के पेड़ की कहानी, गुरु गोबिंद सिंह जी से भी जुड़ा है इतिहास

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Sun, 10 Jul 2022 05:11 PM (IST)

    कपालमोचन सरोवर पर लगे पवित्र बरगद के पेड़ की कहानी। पूजा अर्चना के साथ पंचायतों का भी साक्षी है कपालमोचन सरोवर पर लगा बरगद का पेड़। गुरु गोबिंद्र सिंह महाराज आ चुके यहां इसकी छाया तन व मन को करती है शीतल।

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    कपाल मोचन सरोवर में लगा बरगद का पेड़।

    पानीपत/बिलासपुर(यमुनानगर), संवाद सहयोगी। धार्मिक स्थल कपालमोचन के पवित्र सरोवर पर बरगद के पेड़ से लोगों की आस्था व पुराने यादें जुड़ी हुई है। यह पेड़ कितने वर्ष पुराना इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं है। सिखों के दसवें गुरु गाेबिंद सिंह महाराज सेवकों व सैनिकों के साथ भांगानी का युद्ध जीतने के बाद कपालमोचन आए। उन्होंने यहां पर 52 दिन तक तपस्या की थी। इस पेड़ की छांव में प्रदेश के पूर्व शिक्षामंत्री फूलचंद मुलाना ने अपने मित्रों के साथ समय व्यतीत किया हैं।

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    सरोवर के किनारे स्थित होने के कारण पेड़ की धार्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है। कार्तिक पूर्णिमा माह के साथ अन्य धार्मिक त्योहराें पर श्रद्धालु कपालमोचन मंदिर में पूजा अर्चना के साथ पेड़ की पूजा अर्चना भी करते हैं। लोगों का पेड़ से गहरा संबंध हैं। 

    पेड़ की छांव में बिताते थे पूरा दिन

    पुजारी सुभाष मोदगिल ने बताया कि वह अपने पिता स्वर्गीय प्रेम चंद मोदगिल से सुना करते थे कि मिल्क गांव के रहने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री फूलचंद मुलाना व स्कूल के लौटते समय और छुट्टियों में पूरा दिन पेड़ की छांव में बिताना पसंद करते थे। कपालमोचन का विकास होने से पहले पेड़ के नीचे धार्मिक पूजा अर्चना के साथ साथ आसपास के ग्रामीण अपने गांवों के झगडों व अन्य समस्याओं का समाधान हुआ करता था। उनके मुताबिक यह पेड़ काफी पुराना है। इस पेड़ के प्रति लोगों में गहरी आस्था है।

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने 52 दिन की तपस्या

    सिखों के दसवें गुरु गाेबिंद सिंह महाराज धार्मिक स्थल कपालमोचन में दाे बार आए। यहां पर 52 दिन तपस्या की। उसके प्रमाण भी पास है। यहां पर पूजा अर्चना के बाद गुरु गोबिंद सिंह उनके पूर्वजों को हुकमनामा लिखकर दे गए थे। यह हुकमनामा आज सुरक्षित हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले ऐतिहासिक कपालमोचन मेले के दौरान पंजाब ,हरियाणा, हिमाचल उत्तर प्रदेश सहित अनेक राज्यों के लाखों श्रद्धालु पेड़ की पूजा अर्चना करते हैं।

    यहां पर श्रीराम व कृष्ण भगवान भी आ चुके

    सुभाष मोदगिल ने बताया कि कपालमोचन क्षेत्र ऋषिमुनियों व तपस्वियों की धरा रही है। इस पवित्र स्थल पर श्री कृष्ण भगवान ने पांडवों के साथ यज्ञ किया। श्रीरामचंद्र भी यहां पर आए थे। सम्राट अकबर, गुरु नानक देव जी, गुरु गोबिंद सिंह सहित अनेक महान गुरुओं ने कपालमोचन पहुंच कर इस धार्मिक स्थल की महत्ता को अधिक बढ़ाया है। कपालमोचन में आते ही सुकून व शांति का अहसास होने लगता है। सरोवर के समीप आम, पीपल, बरगद के अनेक पेड़ है लेकिन सरोवर पर बरगद का सबसे प्राचीन पेड़ है। यहां पर प्रत्येक पेड़ व धार्मिक स्थल का अपना विशेष महत्व हैं।