नसबंदी पखवाड़ा चार दिसंबर तक, बिना चीरा-टांका होगा आपरेशन
पानीपत में पुरुषों ने परिवार नियोजन अपनाया सुखी परिवार का आधार बनाया। इसी स्लोगन पर विश्व पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 21 दिसंबर से शुरू हो चुका है।

जागरण संवाददाता, पानीपत : पुरुषों ने परिवार नियोजन अपनाया, सुखी परिवार का आधार बनाया। इसी स्लोगन पर विश्व पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 21 दिसंबर से शुरू हो चुका है। पुरुषों की बिना चीरा-टांका नसबंदी की जाएगी। उधर, एक साल के आंकड़ों पर गौर करें तो मात्र 18 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई जबकि 200 का लक्ष्य निर्धारित था।
नोडल अधिकारी डा. अमित ने बताया कि नसबंदी कराने के इच्छुक पुरुष 27 नवंबर तक सिविल अस्पताल में संपर्क कर सकते हैं। 28 नवंबर से चार दिसंबर तक नसबंदी की जाएगी। उन्होंने बताया कि पुरुषों की नसबंदी में मात्र 10 मिनट का समय लगता है। आपरेशन के समय कोई दर्द नहीं होता। नसबंदी के बाद, तुरंत घर जा सकते हैं। कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती। पहले की तरह शारीरिक श्रम कर सकते हैं। नसबंदी कराने पर पुरुष को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि, प्रेरक को 300 रुपये दिए जाते हैं।
डा. अमित ने बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी ज्यादा सुरक्षित है। संक्रमण का भी कोई खतरा नहीं रहता है।
सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि
-2000 रुपये पुरुष नसबंदी कराने पर।
-1400 रुपये महिला नलबंदी कराने पर।
-2200 रुपये, प्रसव के तुरंत बाद नलबंदी कराने पर।
-300 रुपये, प्रसव के बाद 48 घंटे में कापर-टी लगवाने पर। इन आंकड़ों को भी देखें
पांच वर्षों में मात्र 438 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है। इसी समयावधि में 8233 महिलाएं नलबंदी करा चुकी हैं। वर्ष 1994 के आंकड़े देखें तो महिलाओं की तुलना में मात्र चार प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी कराते हैं। 27 साल बाद भी स्थिति जस की तस है। साल-दर-साल नसबंदी व नलबंदी के आंकड़े :
वित्तीय वर्ष नसबंदी नलबंदी
2016-2017 84 1918
2017-2018 68 2003
2018-2019 65 1915
2019-2020 203 1056
2020-2021 18 1341 आपरेशन फेल होने पर मुआवजा :
पुरुष-महिला की नसबंदी फेल होने पर 30 हजार रुपये मुआवजा दिया जाता है। आपरेशन के दौरान मौत होने पर दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति दी जाती है।
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