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    हरियाणा के स्टार जूडो खिलाड़ी आनलाइन निखार रहे हुनर, सीख रहे फिटनेस के मंत्र

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 20 May 2021 11:48 AM (IST)

    हरियाणा के स्टार जूडो खिलाड़ी आनलाइन शरीर को तंदरुस्त रखने के गुण सीख रहे। कोरोना महामारी के कारण सेंटर बंद हो चुका है। खिलाड़ी घर अभ्यास पर कर रहे हैं। अर्जुन अवार्डी जूडो कोच यशपाल सोलंकी रोज ढाई घंटे अभ्यास करवाते हैं।

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    हरियाणा के स्टार जूडो खिलाड़ी आनलाइन फिटनेस के मंत्र सीख रहे।

    पानीपत, [विजय गाहल्याण]। कोरोना महामारी के कारण मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित सरकारी जूडो सेंटर बंद हो गया है। यहां पर अभ्यास करने वाले हरियाणा के स्टार खिलाड़ी पानीपत के विकास नगर के यश घणघस, झज्जर के रोहित, भिवानी के मोहित और सोनीपत के अजय दहिया, गुरुग्राम की सिमरन और भिवानी की स्वीटी घर लौट आए हैं। इन खिलाडिय़ों का खेलो इंडिया के तहत सेंटर में चयन किया गया है। 

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    खिलाडिय़ों के लिए बिना अभ्यास व कोच की निगरानी के शरीर को तंदरुस्त रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसका भी खेल विभाग ने तोड़ निकाल लिया है। अर्जुन अवार्डी जूडो कोच यशपाल सोलंकी रोज सुबह छह से साढ़े आठ बजे तक इन खिलाडियों को आनलाइन कोचिंग देते हैं। इसमें रस्सीकूद, स्ट्रेंथ और स्टेमिना बढ़ाने की एक्सरसाइज पर ज्यादा जोर दिया जाता है।

    आनलाइन लेते हैं हाजिरी, गैर हाजिरी होने पर लगती है फटकार

    18 वर्षीय 125 किलो के खिलाड़ी यश घणघस खेल विभाग की टॉप स्कीम के तहत चयनित हैं। उन्हें 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। अन्य खिलाडिय़ों को दस हजार रुपये हर महीने स्कालरशिप मिलती है। कोच यशपाल सोलंकी हर रोज खिलाडिय़ों की आनलाइन हाजिरी लेते हैं। गैर हाजिर होने वाले खिलाड़ी को कारण बताना होता है। अगर फरलो मारते हैं तो फटकार लगती है। हाजिरी के आधार पर उन्हें स्कालरशिप की राशि मिलती है।

    पदक का दावेदार था, वल्र्ड यूनिवर्सिटी गेम्स न खेलने का मलाल

    राज्य व राष्ट्रीय जूडो प्रतियोगिताओं में 20 पदक जीत चुके चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी के बीए प्रथम वर्ष के छात्र यश घणघस ने बताया कि 31वीं वल्र्ड यूनिवर्सिटी 18 से 29 अप्रैल तक चीन में होनी थी। इसमें यश को 100 प्लस किलोग्राम में देश का प्रतिनिधित्व करना था। कोरोना महामारी के कारण प्रतियोगिता नहीं हो पाई। यश का कहना है कि प्रतियोगिता के लिए तैयारी अच्छी थी और स्वर्ण पदक का दावेदार था। न खेल पाने का मलाल है।