पानीपत की राजनीति में हंगामा, इधर, बंगबंधु बने पानीपत के बंसल बंधु
पानीपत की राजनीति में क्या चल रही हलचल। कौन हैं काशी के अस्सी वाले नेता। बंगबंधु भी पढि़ए। नए नए आए डीसी ने अफसरशाही में सक्रियता बढ़ा दी। आस्ट्रेलिया से विशाल जूड की रिहाई के लिए पानीपत में क्यों बरपा है हंगामा। जानिये इस सप्ताह के स्ट्रेट डाइव कालम में।

पानीपत, [रवि धवन]। बंगबंधु। शेख मुजीबुररहमान। शेख मुजीब को बंगाल और बांग्लादेश, दोनों में बंगबंधु कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाई थी। इस बीच एक नए बंगबंधु उभरे हैं। वह भी बांग्लादेश और बंगाल दोनों के लिए बंगबंधु हैं। बंग बंधु यानी बंगाल के भाई। ये हैं पानीपत के बंसल बंधु। जो जूट की डोरियों से कालीन बनवाने के माध्यम बने। इनकी दुनिया भर में मांग है। पानीपत के अनिल और अशोक बंसल, दोनों बंगाल और बांग्लादेश से जूट के धागे खरीदते हैं। धागों की कमी न हो इसलिए फसल को बेहतर बनाने के लिए काम किया। वहां की मिलों से बात कर मशीनरी में भी बदलाव कराया। इससे बांग्लादेश और बंगाल के जूट उत्पादकों की आर्थिक स्थिति तो सुधरी ही है, रेशे बनाने वाले उद्यमियों को अधिक लाभ मिल रहा है। ऐसे में वे लोग बंसल बंधु को बंगबंधु कहते हैं तो दोनों हाथ जोड़ लेते हैं।
काशी के शब्द असंसदीय नहीं
काशी वाले ही नहीं पानीपत वाले भी कई बार मशहूर लेखक काशीनाथ सिंह से बिना आभार जताए कुछ शब्दों को साभार भी ले लेते हैं। ऐसे ही ही हैं, शिष्टभाषी संगठन के प्रोडक्ट और भाजपा के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित नेताजी। करनाल में ही उन्होंने लगातार दूसरी बार बात-बात में कथित रूप से असंसदीय शब्द का उपयोग कर दिया। हालांकि वाराणसी में ऐसे शब्दों का प्रचलन आम है। लेकिन संसद में माननीय सांसद गण ऐसे शब्दों का कभी-कभार ही उपयोग करते हैं, इसलिए शायद ऐसे शब्दों को असंसदीय माना जाता है। वैसे पानीपत भी वाराणसी का हिस्सा रहे भदोही का प्रोफेशनल ब्रदर है और यहां भी काशी का अस्सी में प्रयुक्त शब्द पंजाबी टच के साथ खूब चलते-दौड़ते हैं। लेकिन विपक्ष को तो केवल मौका चाहिए था हल्ला मचाने का। मचाने लगा। यह बात अलग है कि नेताजी विपक्ष के हल्ले से बेफिक्र, बल्ले से बाउंड्री जमाने में जुटे हैं।
जूड जैसे जवाब अब जरूरी हैं
करनाल के बेटे विशाल जूड ने भारत विरोधी ताकतों को करारा जवाब देकर बता दिया, हरियाणवी कहीं भी हों, गलत बर्दाश्त नहीं करेंगे। खासकर, राष्ट्र का विरोध स्वीकार नहीं। अलगाववादी जब तिरंगा जला रहे थे, तब अकेले वही थी जिन्होंने राष्ट्र ध्वज को माथे से लगा लिया। ये वही अलगाववादी हैं, जो भारत में किसान आंदोलन के नाम पर भी देश में फूट डालने का प्रयास कर रहे हैं। फंडिंग करने में भी आगे हैं। देर से ही सही, हरियाणा सरकार ने विशाल की रिहाई के लिए सक्रियता दिखाई है। रोड़ समाज के युवा जोश के साथ जीटी रोड के जिलों में आवाज उठा रहे हैं। रोड़ मराठा हों या राजा रोड़ दल वाले, दोनों ने मनमुटाव को दूर रख जूड के लिए एकता दिखाई है। जूड की तरह ही मोजाम्बिक में पानीपत के बेटे विनोद बैनीवाल का आतंकियों ने अपहरण किया है। उम्मीद है, दोनों बेटे जल्द वतन लौटेंगे।
बहुत कठोर हैं सुशील
पानीपत के जिला उपायुक्त का दायित्व संभालने वाले सुशील सारवन बहुत सुशील हैं। यह सिक्के का एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि सुशील जितने सुशील हैं, उतने ही कठोर भी हैं। हो सकता है कुछ कम ज्यादा हों, क्योंकि सबका आकलन अलग अलग होता है। खैर, एसडीएम से लेकर डीसी तक के सफर में कई जिलों में रह चुके सुशील को पता है काम कैसे होता है। उद्यमियों की बैठक हुई तो सुशील उनसे बातचीत के दौरान सुशील बने रहे, लेकिन जब उद्यमियों की समस्या के समाधान की बारी आई तो अफसरों पर कठोर हो गए। स्टेडियम के बीच से खंभा हटवाने की बात थी। अफसरों से बोले-72 घंटे में जवाब चाहिए। जो सामान चाहिए, मेरे कार्यालय से ले जाओ। खंभा हट गया। अब उद्यमी कह रहे हैं कि सुशील ऐसे ही समय समय पर कठोर होते रहे तो पानीपत के अफसर पानी-पानी होकर रास्ते पर आ जाएंगे।
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