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Shahid Samarak: अंबाला-दिल्ली हाईवे किनारे 22 एकड़ में बनेगा शहीद स्मारक, 90 साल के संघर्ष का होगा गवाह

अंबाला-दिल्ली हाईवे किनारे 22 एकड़ में शहीद स्मारक बनेगा। प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 की क्रांति में कई ऐसे योद्धा और सेनानी रहे हैं जिनको इस शहीद स्मारक में दिखाया जाएगा। यह देश का सबसे बड़ा व आधुनिक तकनीकी से लैस होगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 06:05 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 07:23 AM (IST)
Shahid Samarak: अंबाला-दिल्ली हाईवे किनारे 22 एकड़ में बनेगा शहीद स्मारक, 90 साल के संघर्ष का होगा गवाह
अंबाला-दिल्ली हाईवे किनारे 22 एकड़ में तीन सौ करोड़ की लागत से बनेगा शहीद स्मारक।

अंबाला, जागरण संवाददाता। अंबाला-दिल्ली हाईवे किनारे 22 एकड़ में तीन सौ करोड़ की लागत से बन रहा शहीद स्मारक में ऐतिहासिक वस्तुओं के रखरखाव के लिए कमेटी गठित होगी। इसके लिए पंडित लखमीचंद स्टेट यूनिवर्सिटी आफ परफार्मेिंग एंड विजुअल आर्ट्स के अधिकारियों की टीम का गठन होगा। 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम से संबंधित इतिहासकारों की कमेटी गठित करने के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। यह शहीद स्मारक आधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसी को लेकर प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने चंडीगढ़ में अधिकारियों की बैठक ली। लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक निगम, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के महानिदेशक डा. अमित कुमार अग्रवाल मौजूद रहे, जिन्होंने अपने सुझाव भी दिए।

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इस तरह से आजादी की कहानी होगी लोगों के सामने

प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 की क्रांति में कई ऐसे योद्धा और सेनानी रहे हैं, जिनको इस शहीद स्मारक में दिखाया जाएगा। यह देश का सबसे बड़ा व आधुनिक तकनीकी से लैस होगा। इसके लिए विभिन्न विभागों, संस्थाओं तथा विश्वविद्यालय से संबंधित अधिकारियों की राज्य स्तर की एक कमेटी का गठन किया जाएगा। स्मारक में तीन भागों में 1857 की क्रांति का पदार्पण होगा, जिसमें पहले चरण के तहत अंबाला में 1857 की क्रांति कब शुरू हुई थी, कहां से शुरू हुई थी, उसका इतिहास दिखाया जायेगा। दूसरे चरण में हरियाणा में 1857 की क्रांति कहां-कहां लड़ी गई, उसका वर्णन किया जायेगा और तीसरे चरण में हिन्दुस्तान में कहां-कहां आजादी की लड़ाई लड़ी गई, झांसी की रानी, बहादुरशाह जफर के साथ-साथ अन्य क्रांतिकारियों ने अपनी क्या-क्या भूमिका निभाई, उसका भी वर्णन किया जाएगा। स्मारक में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए इंडोर नेवीगेशन सिस्टम होगा जिसके तहत आडियो के माध्यम से आगंतुक को स्मारक में आने खड़े होने की जानकारी मुहैया हो पाएगी।

कमेटी का होगा गठन

शहीद स्मारक को तैयार करने के लिए इतिहास की पुख्ता वस्तुओं व कहानियों को दिखाने के लिए 1857 से संबंधित इतिहासकारों की एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें वे अपने-अपने अध्ययन के अनुसार जो सुझाव देंगे, उन्हें स्मारक में विभिन्न कलाकृतियों, आर्ट, लाइट एंड साउंड इत्यादि के माध्यम से आगंतुकों के ज्ञान के लिए दर्शाया जाएगा और इसी संबंध में जल्द ही अधिसूचना भी जारी की जाएगी। इसी प्रकार, पंडित लख्मीचंद स्टेट यूनिवर्सिटी आफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स के अधिकारियों की एक टीम का गठन किया जाएगा ताकि वे स्मारक स्थल का निरीक्षण कर विभिन्न सुझाव राज्य स्तर पर बनाई जाने वाली कमेटी को दे सकें। यह टीम स्मारक में लगाई जाने वाली विभिन्न प्रदर्शित वस्तुओं के रख-रखाव व मूल्यांकन के लिए अपने सुझाव भी देगी। इसी तरह स्मारक को शीघ्र स्थापित करने के लिए क्यूरेटर भी नियुक्त किए जाएंगे।

डिजिटल संकल्प स्तंभ की होगी स्थापना

हरियाणा व राज्य के कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए इस स्मारक में विभिन्न ऐसी वस्तुओं को भी दर्शाया जाएगा जोकि हरियाणा के देहात में विभिन्न कारीगरों द्वारा तैयार की जाती हैं। इसके लिए डिजिटल संकल्प स्तंभ की भी स्थापना होगी। इसमें विभिन्न प्रकार की लाइटों के प्रकाश का उजाला संकल्प लेते समय निकलेगा। इसी प्रकार, देश-विदेश के चित्रकारों के दुर्लभ चित्र भी स्मारक के दीवारों पर होंगे, जिसमें आजादी की पहली लड़ाई के दृश्य होंगे।


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