Sant Nirankari Samagam: फूलों से सजी पालकी में आईं सतगुरु माता सुदीक्षा, देखें संत निरंकारी समागम की तस्वीरें
Sant Nirankari Samagam Updates News संत निरंकारी समागम शुरू हो चुका है। आज वीरवार को संत निरंकारी समागम का दूसरा दिन है। फूलों से सजी पालकी में सतगुरु माता सुदीक्षा और उनके जीवनसाथी राजपिता रमित का भव्य स्वागम किया गया।

पानीपत, जेएनएन। पानीपत भोड़वाल माजरी गांव के पास आयोजित संत निरंकारी समागम का आज दूसरा दिन है। 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में फूलों से सजी पालकी में सतगुरु माता सुदीक्षा आईं। संगत ने उनका भव्य स्वागत किया। रात आठ बजे के बाद उनके प्रवचन होंगे।
सतगुरु माता व राजपिता ने भी पहनी सेवादल की वर्दी
75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के पहले दिन की शुरुआत सेवादल के लिए समर्पित दिन के साथ हुई। सेवादल की अनथक सेवाओं को सराहते हुए निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के सान्निध्य में निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा में एक भव्य सेवादल रैली निकाली।
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मानव सेवा का दिया था संदेश
रैली में पधारते ही सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज व उनके जीवनसाथी राजपिता रमित का सेवादल के केंद्रीय अधिकारियों ने स्वागत किया। उन्होंने खुले वाहन में सवार होकर सेवादल रैली का अवलोकन कर सबका अभिवादन स्वीकार किया और स्वयं भी सेवादल की वर्दी पहन मिशन की निष्काम मानव सेवा की भावना का संदेश दिया। रैली में सेवादल में शामिल भाई बहनों ने अपनी खाकी व नीली वर्दियों में भाग लिया।
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कविताएं व गायन प्रस्तुत किए
रैली में समागम का मुख्य विषय रूहानियत एवं इंसानियत पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इसमें व्याख्यान, कविताएं, संपूर्ण अवतार बाणी के पावन शब्द का गायन, समूह गीत एवं लघुनाटिका इत्यादि का समावेश रहा। इसके अतिरिक्त शारीरिक व्यायाम, खेलकूद तथा मानवीय मीनार एवं मलखंब जैसे शारीरिक करतब भी दिखाए गए। छोटे बच्चों के शारीरिक करतब ने सभी को आकर्षित किया।
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संगत के आने का चलता रहा सिलसिला
पांच दिवसीय समागम की शुरुआत हो चुकी है। दावा है कि पांच लाख के करीब श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला भी जारी है। बुधवार को समागम के पहले दिन रेल, बस आदि से हजारों की संख्या में संगत समागम में पहुंची। उन्हें स्टेशन व बस स्टैंड से लाने के लिए रोडवेज बसों की स्पेशल सेवा शुरू की गई। समालखा रेलवे स्टेशन से भी रोडवेज की बसें दिन भर श्रद्धालुओं को समागम स्थल तक पहुंचाती रहीं।
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समागम में आस्था, अनुशासन और आत्मीयता के दिव्य दर्शन
संत निरंकारी मिशन के समागम में आस्था, अनुशासन और आत्मीयता के दिव्य दर्शन हो रहे हैं। बुधवार से प्रारंभ हुए समागम में देश-विदेश से लगभग 10 लाख की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। यहां भोजन-विश्राम, जलपान, सब समयबद्ध। अनुशासित और शांति पूर्वक। कहीं कोई विवाद नहीं। ऐसा हो भी नहीं सकता, क्योंकि हर श्रद्धालु सेवाभाव से ओतप्रोत है। साथ ही भ्रातृभाव का अप्रतिम उदाहरण देखने को मिल रहा है। हर श्रद्धालु एक दूसरे का ध्यान रखता है। पहले दूसरा भोजन कर ले, फिर हम करेंगे। व्यवस्था संभालने के लिए सेवादल के डेढ़ लाख लोग खाकी वर्दी पहनकर सेवा के लिए 24 घंटे खड़े हैं। यह संत निरंकारी मिशन का 75वां समागम है।
समागम में व्यवस्था का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे सेवादल की स्थापना 1956 में बाबा अवतार सिंह महाराज के समय में हुई। सेवादल के सदस्यों की संख्या लाखों में है। मिशन के प्रति सेवा भाव रखने वाले 18 साल से अधिक उम्र वालों को सेवा भाव से भरी खाकी वर्दी मिलती है। इससे पहले ब्रह्मज्ञान लेना होता है। फिर डेढ़ साल सेवा तक करनी होती है। इसके बाद सेवादल की खाकी वर्दी मिलती है। सेवादल में महिला और पुरुषों की संख्या लगभग बराबर है। पुरुष खाकी वर्दी में तो महिलाओं नीले सूट में होती हैं।
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संभाल रखी लंगर से लेकर ट्रैफिक व्यवस्था
सेवादल में शामिल सदस्यों ने समागम में लंगर, कैंटीन, ट्रैफिक, सुरक्षा से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को संभाला हुआ है। वे हाथ जोड़कर आने वाले हर श्रद्धालु का स्वागत करते हैं। ऐसा लगता है कि विनम्रता, और सौजन्यता ईश्वर ने उनमें कूट कूट कर भरी है।
कचरा प्रबंधन तो कोई इनसे सीखे
समागम में लाखों लोग आए हैं। उनके ठहरने से लेकर खाने –पीने तक व्यवस्था यहां होती है। लेकिन कहीं कचरा देखने को नहीं मिलेगा। थर्मोकोल पर प्रतिबंध है। भोजन-जलपान स्टील की प्लेट में मिलता है। कचरा के निस्तारण के लिए भी उचित व्यवस्था की गई है।

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