75th Annual Nirankari Sant Samagam: चढ़ने लगा श्रद्धा का रंग, पानीपत में देश-विदेश से आएंगे लाखों लोग
पानीपत के समालखा में संत निरंकारी समागम होने वाला है। संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल को चार भागों में बांटा गया है। 16 से 20 तक समागम होगा। इस समागम में देश के अलावा विदेशों से भी पहुंचते हैं लाखों।

जागरण संवाददाता, समालखा (पानीपत)। संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर होने वाले 75वें संत निरंकारी समागम को लेकर जैसे तिथि नजदीक आ रही है। वैसे ही तैयारियां समागम स्थल में रंग चढ़ता जा रहा है। यहां टेंट लगाने और लाइट लगाने का काम दिन रात चल रहा है। वहीं, देश के अलग अलग हिस्सों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वे यहां सेवा भाव के साथ तैयारियों को पूरा कराने में भी लगे हैं। शुक्रवार को हैदराबाद, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश सहित कई जगहों से हजारों श्रद्धालु समागम में शामिल होने के लिए पहुंचे। अबकी बार कई लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। यह समागम 16 से 20 नवंबर तक होगा।
चार ब्लाक में बांटा गया है
संत निरंकारी समागम स्थल करीब 700 एकड़ में है। जिसे चार ब्लाक में बाटा गया है। इसमें ए,बी,सी व डी नाम दिए गए हैं। चारों ब्लाक में संगत ठहरने के साथ उनके लंगर की व्यवस्था की गई है। साथ ही कैंटीन खोली गई है। यहां कम दाम पर चाय, ब्रेड पकोड़ा, पीने के पानी की बोतल आदि सामान मिलता है। हाल में भी सेवादारों व आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर लंगर व कैंटीन की व्यवस्था हो चुकी है। कई सौ टेंट हाउस संचालकों को जिम्मा दिया गया है। जिनमें अलग अलग राज्य के हिसाब से अनुयायियों के ठहरने और उनके खाने की व्यवस्था की गई है।
समागम के दिनों में हर दिन बनती हैं 10 लाख से ज्यादा रोटी
चारों ब्लाक में लंगर के लिए रसोई चलती हैं। हाल में सेवादार व आने वाले श्रद्धालु को लेकर लंगर की व्यवस्था है। अब एक रसोई में हर रोज करीब नौ क्विंटल चावल के अलावा के हजारों रोटियां बन रही है। समागम शुरू होने के दिनों में एक रसोई में 2.50 लाख रोटियां, करीब 90 क्विंटल दाल, करीब 110 क्विंटल चावल, करीब 35 क्विंटल सब्जी लगती है। यहां तैयार होने वाली सब्जी पानीपत से लेकर दिल्ली की आजादपुर मंडी तक से आती हैं। चारों रसोइयों में प्रतिदिन 10 लाख से ज्यादा रोटियां बनती हैं।
लगेंगी वर्ष 1948 से 2022 तक की प्रदर्शनी
समागम के दौरान संत निरंकारी मिशन के इतिहास की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसमें वर्ष 1948 से 2022 तक मिशन के गुरुओं के हर कार्यक्रम को शामिल किया जाएगा। इसके साथ एक बाल प्रदर्शनी भी लगेगी।
निरंकारी मिशन के ये हैं छह गुरु
--संत बाबा बूटा सिंह, जो इनके परिवार से नहीं थे।
--संत इनके दादा अवतार सिंह
--संत इनके पिता बाबा गुरबचन सिंह
--संत थे बाबा हरदेव सिंह
--माता सविंदर हरदेव
--माता सुदीक्षा महाराज।
ट्रेनों का ठहराव हुआ
अभी से देश के कोने कोने से श्रद्धालु भी पहुंचने लगे हैं। वाराणसी, मुम्बई व हैदराबाद सहित कई जगहों से अनेक श्रद्धालु रेल से पहुंचे। उनके चेहरे पर समागम में शामिल होने को लेकर उत्साह देखते ही बन रहा था। यहां ट्रेनों का विशेष ठहराव भोड़वाल माजरी रेलवे स्टेशन पर किया जा रहा है।
वर्चुअल हुआ था समागम
कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020 व 2021 में समागम वर्चुअल हुआ था। ऐसे में श्रद्धालु यहां नहीं आ सके थे। कोरोना के बाद समागम होने जा रहा है तो श्रद्धालु उत्साहित हैं। इसलिए अबकी बार अन्य सालों के मुकाबले ज्यादा श्रद्धालुओं के समागम में शामिल होने की संभावना हैं। माना जा रहा है कि पांच साल से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होंगे। जो अभी से समागम स्थल पर पहुंचने लगे हैं। वो यहां आने के बाद सेवा भाव से काम में भी लग रहे हैं। तैयारियों में हाथ बंटा रहे हैं। देश भर के कोने से श्रद्धालुओं को समागम स्थल तक आने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसको लेकर भोड़वाल माजरी स्टेशन पर ज्यादातर ट्रेनों का दो-दो मिनट का ठहराव किया गया है।
संस्कृति और सभ्यता का दिखेगा अनूठा संगम
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी वार्षिक निरंकारी संत समागम में विभिन्न संस्कृतियों एवं सभ्यताओं का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। वहीं आध्यात्मिक स्थल पर तैयारियां जोरो पर हैं। दिन रात काम चल रहा है। हाल में भी आध्यात्मिक स्थल लाइटिंग से सज चुका है। लाखों बल्बों व लडियां लगाई गई हैं। शाम होते ही समागम स्थल का नजारा देखते ही बनता हैं। आने जाने वाले लोग कुछ देर रूक देखने के बाद निकल रहे हैं।

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