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    हरियाणा में बसा एक नया शहर, आबादी 5 लाख से ज्‍यादा, रहना, खाना सब कुछ फ्री, लोगों में अटूट श्रद्धा भाव

    By Ram kumarEdited By: Anurag Shukla
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 12:28 PM (IST)

    हरियाणा में इन दिनों एक नया शहर बसा हुआ है। पानीपत के समालखा और दिल्‍ली के पास इस शहर में लाखों लोग रह रहे हैं। यहां के लोगों में अटूट श्रद्धा का भाव है। लाखों लोगों का रहना खाना सब कुछ फ्री है।

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    हरियाणा के पानीपत में संत निरंकारी समागम। जागरण

    समालखा (पानीपत), [रामकुमार कौशिक]। पानीपत के भोड़वाल माजरी में इन दिनों लाखों लोग एक छत के नीचे रह रहे हैं। इनमें अटूट श्रद्धा का भाव देखा जा सकता है। रहने, खाने और स्‍वास्‍थ्‍य का सेवा भाव हर किसी में भरपूर देखने को मिल रहा है। एक दूसरे के प्रति मानवता की भावना देश विदेश से लोगों को यहा ला रही है।

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    करीब 5 लाख लोग, 630 एकड़ क्षेत्र में रह रहे

    समालखा के भोड़वाल माजरी स्थित आध्यात्मिक स्थल पर चल रहे 75वें संत निरंकारी समागम में श्रद्धालुओं की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मिशन का दावा है कि हाल में पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। मिशन से जुड़े युवा व बुजुर्ग से लेकर नेत्रहीन व दिव्यांगों तक को आस्था सैंकड़ों किलोमीटर दूर से खींच ला रही है। करीब 630 एकड़ क्षेत्र में हो रहे समागम में 24 घंटे चहल पहल है। मानों कोई नगरी बसी हो। वहीं आज और कल श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ेगी। माना जा रहा है कि करीब 250 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले श्रद्धालु छुट्टी के चलते इन दिनों में आकर समागम में शामिल होंगे। ऐसे में समागम में श्रद्धालुओं की भीड़ का आंकड़ा सात लाख के आस पास पहुंच सकता है।

    यहां रुकने से लेकर खाने पीने तक की व्यवस्था

    यहां समागम में आने वाले श्रद्धालुओं के रुकने से लेकर खाने व पीने तक की पूरी व्यवस्था है। पूरे क्षेत्र को चार ब्लाक में बांटा गया है। हर ब्लाक में लंगर बनता है। जहां सुबह नाश्ते के साथ शुरुआत होती है और देर रात तक खाना मिलता है। हर रोज 400 क्विंटल से ज्यादा चावल, 250 क्विंटल से ज्यादा दाल, 7 लाख से ज्यादा रोटियां बनती हैं। वहीं हर ब्लाक में कैंटीनें खोली गई है। इनमें श्रद्धालुओं को रियायती दर पर चाय, काफी, पानी, ब्रेड पकौड़े आदि चीजे मिलती हैं।

    सतगुरु के दर्शनों को लेकर लग रही लंबी कतारें

    हर रोज दोपहर डेढ़ बजे से पंडाल में सत्संग कार्यक्रम की शुरुआत होती है। जहां मंच पर सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज भी अपने जीवन साथी रमित के साथ विराजमान होती हैं। वहीं उनके दर्शनों को लेकर पंडाल के दोनों तरफ नमस्कारी श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारें लगती है। घंटों घंटों में श्रद्धालुओं का नंबर आता है, लेकिन न कोई आपाधापी और न मारामारी। एकदम अनुशासन के साथ लाइन में खड़े होकर हर कोई अपनी बारी के इंतजार में रहता है।

    नेत्रहीन भी समागम में पहुंचे

    देश के कोने कोने से दिव्यांग भी समागम में शामिल हो सतगुरु के दर्शन करने के लिए पहुंचे हैं। इनमें कोई पूरी तरह से नेत्रहीन है तो कोई चलने फिरने में असमर्थ है। लेकिन सतगुरू के प्रति उनकी आस्था उन्हें सैंकड़ों किलोमीटर से यहां तक खींच लाई है। पूछने पर कहते है कि क्या हुआ, आंखों में ही तो रोशनी नहीं हैं, लेकिन सतगुरू का दिल में जगाया उजाला तो है। वहीं पूर्व सैनिक भी ब्रह्मज्ञान लेकर समागम में अपनी सेवा दे रहे हैं।

    आज ये रहेगा कार्यक्रम

    समागम के चौथे दिन शनिवार को कार्यक्रम मुख्य तौर पर होंगे। दोपहर डेढ़ बजे से पंडाल में सत्संग शुरू होगा। जो रात आठ बजे तक चलेगा। इस बीच में दो घंटे का बहुभाषीय कवि दरबार अहम रहेगा। इसमें अनेक कवि अलग अलग भाषाओं में अपनी भावना प्रकट करेंगे। कवि सम्मेलन का टापिक रूहानियत और इंसानियत संग संग रहेगा। दोपहर करीब ढ़ाई बजे विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी समागम में पहुंचेंगे।