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    रामकिशन व्यास को याद किया, सांगियों के लिए मदद मांगी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 03 Aug 2021 08:29 PM (IST)

    रामकिशन व्यास की 18वीं पुण्यतिथि गांव सनौली खुर्द में मनाई गई।

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    रामकिशन व्यास को याद किया, सांगियों के लिए मदद मांगी

    संवाद सहयोगी, सनौली : रामकिशन व्यास की 18वीं पुण्यतिथि गांव सनौली खुर्द में मनाई गई। सर्व ब्राह्माण सभा के पूर्व जिला अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। शर्मा ने कहा कि व्यास ने हरियाणवी सांग साहित्य को लोकप्रिय बनाने में दिन रात मेहनत की। पुण्य तिथि के दौरान सांग साहित्य से जुड़े रचनाकारों, सांग गाने वालों के लिए सरकार से मदद भी मांगी गई।

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    व्यास के पुत्र सतनारायण शास्त्री ने बताया कि पंडित रामकिशन व्यास का जन्म 11 अक्तूबर, 1925 को नारनौंद (हिसार) में पंडित सीताराम के घर हुआ। पंडित रामकिशन व्यास ने 13 की उम्र में अपने हमउम्र दोस्त लीलू, बल्लू, छैल राम, मामन राम के साथ टोली बना ली। उनकी धुनों पर मोहम्मद व मंगराम गाते थे। सन 1940 में राम किशन व्यास मशहूर सांगी माईराम की छत्रछाया में आए। यहां कविता लेखन में भी काबिलियत हासिल की। पहली बार उन्होंने देवी माई करो सहाई, विद्या वरदान देवी भेंट लिखी। अगस्त 2003 को उनका निधन हुआ।

    अनेक बार मिले पुस्कार

    व्यास ने मूर्ख नर अज्ञानी ज्ञान कर क्यूं तू उम्र गंवावे सै, लाख चौरासी योनी में आदम देह मुश्किल तै पावे सै, भजन की रचना की। 15 साल की आयु में 1940 में पिझुंपुरा कलायत में तीन और म्यौली के चार सांग किए।

    नहीं मिली आर्थिक सुविधा

    रामकिशन व्यास के छोटे बेटे सत्यनायण शास्त्री ने बताया कि उनके पिता ने कई बार रोहतक व अन्य रेडियो स्टेशनों पर भजन गाए। सरकार द्वारा विशेष सुविधा उन्हें प्राप्त नहीं हुई। आर्थिक सहायता न मिलने से सांगी इस कला को छोड़ने पर मजबूर हैं।