खाद्य तेल कारोबारियों का रिफंड बंद, भाव बढ़ेंगे
खाद्य तेल निर्माताओं के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड को खत्म कर दिया गया है। यह व्यवस्था 18 जुलाई से लागू हो गई है। इससे तेल कारोबारियों की पूंजी फंसेगी और उन्हें इसका नुकसान पूरा करने के लिए तेल की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी।

जागरण संवाददाता, पानीपत : खाद्य तेल निर्माताओं के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड को खत्म कर दिया गया है। यह व्यवस्था 18 जुलाई से लागू हो गई है। इससे तेल कारोबारियों की पूंजी फंसेगी और उन्हें इसका नुकसान पूरा करने के लिए तेल की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। खाद्य तेल में जीएसटी में अब तक इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड निर्माताओं को मिलता था।
निर्माता खाद्य तेल बनाने के लिए कच्चा तेल खरीदते हैं। इसे खाने लायक बनाने के लिए कई केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। ये केमिकल 18 प्रतिशत टैक्स दर पर मिलते हैं। इसी तरह के पैकिग मैटेरियल पर भी 18 प्रतिशत टैक्स लगता है। लेकिन जब खाद्य तेल बिकता है तो उस पर पांच प्रतिशत टैक्स ही मिलता है। इस तरह उनकी खरीद और बिक्री के बीच टैक्स का अंतर 13 प्रतिशत होता है। इस अंतर का रिफंड जीएसटी से मिल रहा था लेकिन, 18 जुलाई से इसे बंद कर दिया गया है।
तेल वितरक संघ हरियाणा के पूर्व प्रधान एवं खाद्य तेल निर्माता राकेश गर्ग का कहना है कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड निर्माताओं को मिलता है। किसी निर्माता को उत्पाद बनाने के लिए कच्चा माल ज्यादा टैक्स दर पर मिलता है, लेकिन जब वह माल बनाकर बेचता है और उस पर टैक्स दर कम होती है तब टैक्स दर का जो अंतर होता है, उसे समायोजित करने के लिए ही जीएसटी में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड मिलता है। जुलाई से खाद्य तेल पर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड को बंद किया गया। खाद्य तेल की बिक्री पांच प्रतिशत कर पर होती है, इससे 13 प्रतिशत राशि फंसेगी।
उन्होंने कहा कि अब हमें उच्च दर (18 प्रतिशत) पर पैकिग मैटेरियल और केमिकल खरीदने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर बिक्री में पांच प्रतिशत ही टैक्स है। इससे हमारा इनपुट टैक्स क्रेडिट लगातार ब्लाक होगा। इसका असर कारोबार पर पड़ेगा। मजबूरन तेल की कीमत बढ़ानी होगी।
सीए अंकुर बंसल, प्रधान सीए इंस्टीट्यूट का कहना है कि इसका प्रभाव आने वाले दिनों में पड़ेगा। अभी बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। 18 जुलाई से यह व्यवस्था जीएसटी विभाग ने लागू की है।
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