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    PWD Department: यमुनानगर में नींद से जागे अधिकारी, निर्माणाधीन पुल के खनन पर प्रतिबंध का पत्र किया जारी

    By Naveen DalalEdited By:
    Updated: Tue, 09 Nov 2021 06:16 PM (IST)

    यमुनानगर में शिकायत के बाद पीडल्यूडी के एक्सइएन ने जांच के लिए मौके पर जेई विशाल से रिपोर्ट मांगी। जिन्होंने रिपोर्ट में पाया कि पुल के साथ लगती जमीन ...और पढ़ें

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    यमुनानगर के पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी हरकत में आए।

    यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में गुमथला में नगली घाट पर हरियाणा व उत्तर प्रदेश को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे पुल के पास हो रहे खनन को यदि नहीं रोका गया तो इससे पुल को खतरा है। इसके लिए खनन कर रही मशीनों को वहां से हटाना जरूरी है। पुल की सुरक्षा को देखते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों ने खनन विभाग को पत्र लिख कर चेताते हुए खनन पर प्रतिबंध लगाने का पत्र जारी किया है।

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    हालांकि पुल के पास हो रहे खनन को रोकने के लिए वर्ष 2018 से अधिकारी पत्र लिखने का खेल खेल रहे थे। इतने सालों तक होते रहे खनन से न केवल प्रदेश सरकार के राजस्व को तो नुकसान हुआ ही साथ में पुल के निर्माण को भी खतरे में डाले रखा। सालों तक खनन एजेंसियों पर कार्रवाई नहीं किया जाना पीडब्ल्यूडी, खनन विभाग व सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करता है। जागरण ने इस मुद्दे को छह नवबंर में प्रकाशित किया। उसके बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी हरकत में आए हैं।

    104 करोड़ रुपये से बन रहा है यमुना नदी पर पुल

    गुमथला के नगली घाट पर हरियाणा व उत्तर प्रदेश को जोड़ने के लिए करीब 104 करोड़ रुपये की लागत से पीडब्ल्यूडी की देखरेख में पुल का निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2018 में पुल का निर्माण शुरू हुआ था। इस पुल के बनने से दोनों राज्यों के हजारों लोगों को फायदा होगा। क्योंकि जिले के किसानों की जमीन उत्तर प्रदेश के एरिया में पड़ती है। किसानों को अपनी फसल को मंडी तक पहुंचाने के लिए यमुना नदी से होकर यमुना नदी के दूसरी तरफ जाना पड़ता है। जब मानसून सीजन होता है तो किसान अपने खेतों में भी नहीं जा पाते। ऐसी स्थिति में किसानों को 30 किलोमीटर दूरी तय कर कलानौर से होकर उप्र में जाना पड़ता है। ऐसे में पुल के बनने से दोनों राज्यों को फायदा है।

    पुल के दोनों तरफ खनन पर प्रतिबंध

    सिंचाई विभाग की माने तो पुल के अप व डाउन क्षेत्र में एक-एक किलोमीटर में खनन करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। परंतु जिन एजेंसियों को खनन विभाग ने ठेका दिया हुआ है वह निर्माणाधीन पुल के दोनों तरफ कई सालों से खनन कर रहे हैं। इतना ही नहीं पुल तक निर्माण सामग्री ले जाने के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा यमुना के बीच में जो अस्थायी रास्ता बनाया गया है उसका इस्तेमाल भी खनन एजेंसिया खनन सामग्री लाने के लिए कर रही हैं जो कि गलत है। इसकी शिकायत आठ नवंबर को हरियाणा एंट्री करप्शन सोसाइटी द्वारा सबूतों के साथ पीडब्ल्यूडी के एक्सइएन राजकुमार से लिखित में की थी।

    जांच में सही पाए गए आरोप

    शिकायत के बाद पीडल्यूडी के एक्सइएन ने जांच के लिए मौके पर जेई विशाल से रिपोर्ट मांगी। जिन्होंने रिपोर्ट में पाया कि पुल के साथ लगती जमीन में अवैध खनन हो रहा है। साथ ही अस्थायी रास्ते से रेत, बजरी से भरे ट्रक गुजर रहे हैं। इससे पुल की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस रिपोर्ट के उपरांत एक्सइएन ने डीसी पार्थ गुप्ता, जिला खनन अधिकारी गुरजीत सिंह, सिंचाई विभाग के एसई को पत्र लिख कर पुल के साथ हो रहे खनन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

    मुख्यमंत्री को सौंपेंगे प्रमाण : वरयाम सिंह

    हरियाणा एंट्री करप्शन सोसाइटी के अध्यक्ष एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि जो अधिकारी जांच करने आते हैं उसकी वीडियोग्राफी होनी चाहिए। जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। उच्चाधिकारियों व हरियाणा सरकार को गलत रिपोर्ट भेज कर सरकार की छवि खराब करने का कार्य किया जा रहा है। इसके पुख्ता प्रमाण सोसाइटी ने जुटा लिए हैं। मिलीभगत के प्रमाण मुख्यमंत्री के समक्ष रख कर कार्रवाई की मांग करेंगे।

    2018 में भी लिखा गया था पत्र:

    वर्ष 2018 में सिंचाई विभाग के कंस्ट्रक्शन विंग के एसडीओ ने सिंचाई विभाग के एसई को पत्र लिख कहा था कि निर्माणाधीन पुल के पास खनन होने से इसको खतरा हो सकता है। इसलिए पुल के समीप खनन एरिया पर माइनिंग पर रोक लगाई जाए। 2018 में की गई शिकायत पर अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया गया, जबकि प्रतिदिन पुल बनाने वाली कंपनी के कर्मचारी भी वहां रहते थे। अस्थायी रास्ते पर हो रही आवाजाही की उचाधिकािरयों को सूचना क्यों नहीं दी गई। यह भी बड़ा सवाल है।