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    बेचारी की खूबसूरती ने मन लोगों का..., महाकुंभ में वायरल गर्ल मोनालिसा पर कवि ने लिख दी कविता; आप भी कहेंगे वाह-वाह

    पानीपत में राष्ट्रीय साहित्य चेतना मंच द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने समां बांधा। प्रयागराज कुंभ मेले की नीली आंखों वाली मोनालिसा पर कवि राजेश कुमार की कविता वायरल हुई जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्य कवियों ने भी दिल छू लेने वाली रचनाएं प्रस्तुत कीं जिससे कार्यक्रम यादगार बन गया। लोगों ने कविता पर जमकर ताली बजाई।

    By Raj Singh Pal Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 14 Apr 2025 04:50 PM (IST)
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    वायरल गर्ल मोनालिसा पर कवि की रचना, आप भी पढ़िए। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पानीपत। रिफाइनरी टाउनशिप में विहान ऑफिसर्स क्लब और हिंदी विभाग संयुक्त तत्वाधान में रविवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। पानीपत, असंध, कैथल, गुरुग्राम, चरखी दादरी और करनाल के कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति समां बांधा।

    प्रयागराज के महाकुंभ मेले में रातों-रात वायरल हुई खूबसूरत नीली आंखों वाली मोनालिसा को ध्यान में रखते हुए कवि राजेश कुमार ने अपना रचना बेचारी की सुंदरता ने, मन लोगों का मोड़ा था...संगम छोड़ नयन में डुबकी, युवा दृगों (आंखों) में डूबा था सुनाकर तालियां बंटोरी।

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    शायर दिलबाग अकेला ने टूटे दिल वाले आशिक का दर्द...एक सीने में तूफान सा उठा तो बहुत है, फिर भी न बना शायर दिल टूटा तो बहुत है सुनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करनाल के कवि नरेश लाभ ने की।

    उन्होंने अपनी रचना...आज सभी यज्ञांश में,सौंप दिए मद लोभ, चरण शरण में लीजिए, मिटे हृदय का क्षोभ सुनाकर वाहवाही बंटोरी। सत्या कोहंड ने कभी-कभी छोटी-छोटी ख्वाहिशों के इर्द-गिर्द घूमती हैं खुशियां...रचना सुनायी।

    कभी मुंह मोड़ लेना भी जरूरी होता है

    तुमको गजल सुनाऊं क्या, अपना दर्द दिखाऊं क्या...कमलेश पालीवाल की इस रचना को खूब प्रशंसा मिली। कहते हैं कि कभी-कभी न कहना भी बेहतर होता है, इसी पर कवि राजकुमार जायसवाल ने...कभी-कभी सख्त दिल होना भी जरूरी होता है, कभी-कभी मुंह मोड़ लेना भी जरूरी होता है सुनायी।

    अरुण कुमार ने जीवन के मझधारों में हौसलों की पतवार रखना, समय कठिन हो जैसा भी हो अधरों पर मुस्कान रखना...सुनाकर चुनौतियों में भी खुश रहने का संदेश दिया।

    अन्य कवि-शायरों की रचनाएं

    इतनी सूखी घास को क्यों वो हरी कहने लगे।

    सब सुखनवर अपनी महबूबा परी कहने लगे।

    - मनु बदायूंनी

    मेरी दबे न आह तेरी वाह के तले।

    मत सोच मलंग यहां कह गजल गया।

    - अशोक मलंग

    हाथ मलने को दिल नहीं करता।

    पर संभलने को दिल नहीं करता।

    - अनुपिंदर सिंह अनूप

    हमें संस्कार बोने होंगे जो सम्मान चाहेंगे।

    झुकेंगे हम तभी बच्चों को भी झुकना सिखाएंगे।।

    करें हम प्यार छोटों से रखें आदर बड़ों का भी।

    यूं जीवन मूल्य हम बच्चों में अच्छे डाल पाएंगे।।

    - ओमबीर जांगड़ा