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    यमुनानगर में लगा पिलखन का पेड़ है बेहद खास, कमरों का एसी छोड़ इसकी छांव में बैठते हैं लोग

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jul 2022 04:51 PM (IST)

    यमुनानगर में लगा पिलखन का पेड़ है बेहद खास। कमरों का एसी छोड़ इसकी छांव में बैठते हैं लोग। विशाल आकार ले चुके इस पेड़ के नीचे बच्चे खेलकर बड़े हो रहे हैं तो बुजुर्ग अपना सुख-दुख साझा कर रहे हैं।

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    यमुनानगर के मुंडा माजरा में लगा पिलखन का पेड़।

    यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर के मुंडा माजरा में लगा पिलखन का पेड़। इसकी उम्र का प्रमाण तो यहां रहने वालों के बुजुर्गाें के पास भी नहीं हैं, लेकिन इन पिलखन के पेड़ ने शहर को जवान होते देखा है। विशाल आकार ले चुके इस पेड़ के नीचे बच्चे खेलकर बड़े हो रहे हैं, तो बुजुर्ग अपना सुख-दुख साझा कर रहे हैं। लोगों को ही नहीं, बल्कि उनके वाहनों को भी यह पिलखन छाया दे रहा है। बुजुर्ग एसी वाले कमरों को छोड़कर इस पेड़ की छाया में आकर गर्मी में भी सुकून महसूस करते हैं। 

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    85 वर्षीय जवाहर लाल कुंद्रा, 60 वर्षीय तरसेम कौशिक व गोपाल कृष्ण बताते हैं कि इस पिलखन की आयु का कोई अंदाजा नहीं है। बचपन में भी यह पेड़ ऐसा ही था। वह यहां खेलकर बड़े हुए हैं। उनके बुजुर्ग भी पेड़ के बारे में यही बताते थे कि जब से वह पैदा हुए। तभी यह पेड़ यहां पर है। 250 से 300 साल इस पेड़ की आयु हो सकती है या इससे भी ज्यादा। 

    आधा एकड़ में फैली हैं पेड़ की शाखाएं

    इस पिलखन के पेड़ की शाखाएं करीब आधा एकड़ में फैली है। हालांकि इसका काफी विस्तार हो गया था। मकानों की छतों तक इसकी शाखाएं पहुंच गई थी। जिस वजह से छंटाई करनी पड़ी। गोपाल कृष्ण ने बताया कि कई बार बिजली चली जाती है, तो इस पेड़ के नीचे आसपास के घरों में लोग आकर बैठ जाते हैं। बुजुर्गाें को यही पर सुकून मिलता है। वह आपस में बैठे बात करते रहते हैं। स्कूल से आने के बाद बच्चों के लिए यह खेलने का भी स्थान है। आसपास के घरों के लोग अपने वाहनों को भी इसके नीचे खड़ा कर देते हैं। जिससे वह गर्मी में धूप और सर्दियों में ओस से बचे रहे। 

    बीमारी आ गई थी पेड़ में

    तरसेम कौशिक ने बताया कि इस पेड़ में पिछले दिनों बीमारी आ गई थी। जिससे इसकी शाखाएं सूखने लगी थी। उस समय काफी दुख हुआ। जिस पर पेड़ की खोदाई की गई। इसमें नियमित पानी दिया गया। अब यह फिर से पहले की तरह हरा भरा हो गया है। यहां रहने वाले लोग इस पेड़ को अपने बुजुर्ग की तरह ही मानते हैं और पूरी देखरेख करते हैं।