शिव-पार्वती का विवाह देखकर भयभीत हुए हिमाचल प्रदेश की लोग
सदैव से ही बेटियों का उनकी मां के साथ जुड़ाव रहा है। मां ही अपनी बेटी को संस्कार प्रदान कर उसकी पहली गुरु बनती है। डोली उठते समय भी मां की आंखें ही सबसे अधिक नम होती हैं। ऐसा ही दृश्य माता पार्वती और शिव विवाह में दिखा। देवी मंदिर में शुक्रवार को शिव पुराण कथा सुनाते हुए यह बात विजय कौशल महाराज ने कही।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सदैव से ही बेटियों का उनकी मां के साथ जुड़ाव रहा है। मां ही अपनी बेटी को संस्कार प्रदान कर उसकी पहली गुरु बनती है। डोली उठते समय भी मां की आंखें ही सबसे अधिक नम होती हैं। ऐसा ही दृश्य माता पार्वती और शिव विवाह में दिखा। देवी मंदिर में शुक्रवार को शिव पुराण कथा सुनाते हुए यह बात विजय कौशल महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि भूत और गणों के साथ भगवान शिव की बरात देख पूरे हिमाचल प्रदेश के लोग भयभीत हो गए। बरातियों के डर से अपने घरों में छिप गए। मां मैना दामाद के रूप में द्वार पर पहुंचे भगवान शिव की आरती के लिए सखियों के संग पहुंचीं। शेषनाग की फुंफकार मात्र से सभी महिलाएं भयभीत हो उठीं। आरती किए बिना ही महल लौट गईं। मैना ने बेटी पार्वती को गले लगा लिया। विलाप करते हुए नारद मुनि को कोसने लगीं। जब नारद मुनि ने उन्हें बताया कि ये आपकी बेटी जगत जननी मां जगदंबा का स्वरूप है, तब उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ। बेटी पार्वती को भगवान शिव से विवाह की अनुमति दी। इस दौरान दूल्हे राजा की आइ है बारात, चलो री सखी दर्शन करने गीत पर श्रद्धालु झूम उठे। ओम नम: शिवाय के जयघोष से पूरा पंडाल गूंज उठा। कथा में नीरज गोयल मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे। शिव देते हैं सत्कर्म की शक्ति: स्वामी मुक्तानंद
स्वामी मुक्तानंद महाराज ने बताया कि हमारे अंदर भगवान शिव विद्यमान है। उनके बिना हमारा शरीर मात्र एक शव के समान है। हमें बोलने, चलने, सत्कर्म करने आदि की शक्ति भगवान शिव ही प्रदान करते है। शिव आदि और अनंत हैं। ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में नरेश मित्तल, मामचंद जिदल, सुधीर जिदल, मुकेश बंसल, महावीर बंसल, आशु गुप्ता, हरविलास गोयल, सुरेश गोयल और अशोक गोयल मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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