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    'तो मदरसा बनवा देना...', कारगिल की लड़ाई में बलिदान रियासत अली ने आखिरी चिट्ठी में क्या-क्या लिखा था?

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 12:02 PM (IST)

    पानीपत के गांव अधमी के रियासत अली जो हैदराबाद फौज में नायक थे 3 जुलाई 1999 को कारगिल की लड़ाई में शहीद हो गए। उनकी शहादत के बाद उनकी पत्नी शकीला बानो ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए एक मदरसा बनवाया। रियासत अली ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि देश का माहौल ठीक नहीं है।

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    कारगिल की लड़ाई में बलिदान रियासत अली ने पत्नी को लिखी थी चिट्ठी, फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पानीपत। गांव अधमी के रियासत अली की हैदराबाद फौज में नायक पद पर पोस्टिंग थी। मात्र 29 साल की उम्र में 3 जुलाई 1999 में कारगिल की लड़ाई में बलिदान हुए।

    बड़ा बेटा आमिर खान करीब साढ़े छह साल, बेटी करीब पौने चार साल और छोटा बेटा फारुख खान ढाई साल का था। पत्नी शकीला बानो गांव पर परिवार के साथ रहती थी।

    22-23 जून 1999 को पोस्टमैन शकीला के घर पहुंचता है और रियासत अली की चिट्ठी देता है। चिट्ठी खोली तो उसमें लिखा था कि कारगिल में युद्ध छिड़ चुका है। शकीला खुदा न करे मुझे कुछ हो जाए तो मेरे बच्चों को अच्छे इंसान बनाना। मेरे शहीद होने के बाद इतने पैसे मिलेंगे कि बच्चों को नेक इंसान बनाने के लिए एक मदरसा बनवा देना।

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    'देश का माहौल ठीक नहीं'

    रियासत अली का यह आखिरी खत आखिरी इच्छा बन गया। बलिदानी रियासत अली का पत्नी शकीला का कहना है कि उन्हें कारगिल में लड़ाई के समय भी परिवार से ज्यादा देश और अपने गांव की चिंता थी। अंतिम चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि देश का माहौल इस समय ठीक नहीं।

    इस माहौल में उसे कुछ हो गया तो जो पैसे मिलें उसमें से 2 लाख रुपये में गांव में मदरसा जरूर बनवा देना, जिससे न केवल मेरे खुद के, बल्कि गांव के सभी बच्चे पढ़-लिख सकें। आज शकीला ने एक मदरसा बनाकर अपने पति की आखिरी इच्छा को पूरा करने का काम किया। दोनों बेटों को फौज में भर्ती कराया।