अंतरजातीय विवाह शगुन योजना में प्रोत्साहन राशि बढ़ी तो आवेदन में भी आई बढ़ोतरी
हरियाणा में अंतरजातीय विवाह शगुन योजना में प्रोत्साहन राशि बढ़ी तो आवेदन में भी बढ़ोतरी आ गई है। 50 हजार से ढ़ाई लाख रुपये प्रोत्साहन राशि कर दी गई। 2015 की तुलना में 10 गुना केस बढ़ गए हैं।

पानीपत/जींद, [प्रदीप घोघड़ियां]। प्रदेश सरकार की जात-पात के जहर को समाज से मिटाने के उद्देश्य से शुरू की गई मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतर्जातीय विवाह शगुन योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ी तो अंतरजातीय विवाह करने वालों की संख्या में भी बढ़ौतरी हुई है। अंतरजातीय विवाह करने पर शादीशुदा जोड़े को ढाई लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा दी जाती है।
समाज से जाति-पाति का भेदभाव मिटाने और आपसी सौहार्द को बनाए रखने के उद्देश्य से सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह योजना शुरू की गई थी। अस्पृश्यता निवारण रोकने के लिए अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देना भी इस योजना का उद्देश्य है, ताकि समाज से जातिवाद का सफाया हो सके। सरकार की इस योजना का लाभ लेने के लिए जो भी लड़का या लड़की विवाह करेगा, उनमें से एक का अनुसूचित जाति से संबंध होना जरूरी है यानि कि विवाह करने वाले दंपत्ति में एक अनुसूचित जाति और दूसरा गैर-अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाला होना चाहिए। इस पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन के रूप में ढाई लाख रुपये की राशि दी जा रही है।
2015 में थे 10 केस, तीन गणा बढ़े केस
साल 2016 में जींद जिले में अंतरजातीय विवाह के 10 केस आए थे। इन्हें प्रोत्साहन के रूप में 5 लाख रुपये जिला कल्याण विभाग द्वारा दिए गए। इसके बाद 2017-18 के लिए वैलफेयर आफिस को 9 लाख 64 हजार रुपये का बजट मिला, जो अंतरजातीय विवाह करने वाले 14 शादीशुदा जोड़ों को प्रोत्साहन के रूप में विभाग द्वारा दिया गया। 2018-19 के लिए विभाग को 30 लाख रुपये का बजट मिला, जिसमें अंतरजातीय विवाह करने वाले 16 शादीशुदा जोड़ों को 29 लाख 58 हजार रुपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी। 2015-16 में अंतर्जातीय विवाह करने वालों जो आंकड़ा 10 का था, वह 2019-20 तक आते-आते 32 पर पहुंच गया है। इससे साफ है कि अंतरजातीय विवाह के केसों में बढ़ौतरी हो रही है।
अंतरजातीय विवाह शगुन योजना का लाभ लेने के लिए शर्तें
-अंतरजातीय विवाह करने वाले दंपत्ति में एक स्वर्ण जाति और दूसरा अनुसूचित जाति से होना अनिवार्य है।
-शादी का रजिस्ट्रेशन हिंदू विवाह अधिनियम-1955 के तहत करवाना अनिवार्य है।
-युवक-युवती की आयु 35 साल से कम होनी चाहिए।
-हरियाणा का स्थायी निवासी होना चाहिए।
-योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पासपार्ट साइज फोटो, बैंक कापी जमा करवानी होगी।
-प्रोत्साहन राशि की एफडी करवाकर दुल्हन के खाते में भेजी जाती है।
अंतरजातीय विवाह योजना की प्रोत्साहन राशि भी बढ़ी
मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में इसकी शुरूआत से लेकर अब तक 5 गुणा तक बढ़ौतरी हो चुकी है। योजना की शुरूआत में शादीशुदा जोड़े को 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलती थी, इसे बढ़ाकर बाद में 1 लाख 1 हजार रुपए कर दिया गया। 2019 में इस राशि को बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दिया गया। पहले यह प्रोत्साहन राशि 2 किस्तों में दी जाती थी लेकिन अब इस राशि को एकमुस्त दिया जा रहा है।
32 शादीशुदा जोड़ों को मिलेंगे 40 लाख रुपये : रेणू
जींद की जिला कल्याण अधिकारी रेणू ने बताया कि 2020-21 के सत्र में अंतरजातीय विवाह के 32 केस आए हैं। विभाग के पास 40 लाख रुपये का बजट आया है, जिसे जल्द ही शादीशुदा जोड़ों को बांट दिया जाएगा। रेणू ने बताया कि इंटर कास्ट मैरिज से जहां समाज से जात-पात का भेदभाव खत्म होता है, वहीं इससे सामाजिक समरसता भी आई है।
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