एनजीटी ने कहा सेक्टर 18 रिहायशी क्षेत्र में नहीं चलेंगे उद्योग, पालिसी लागू करने में सख्ती बरतें
जागरण संवाददाता पानीपत सेक्टर 18 के रिहायशी सेक्टर में औद्योगिक गतिविधियां संचालित करन
जागरण संवाददाता, पानीपत : सेक्टर 18 के रिहायशी सेक्टर में औद्योगिक गतिविधियां संचालित करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल किसी तरह की छूट देने को तैयार नहीं है। कमेटी ने 73 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी थी। कोर्ट ने इस रिपोर्ट के आधार पर पर्यावरण मानकों की रक्षा के लिए पालिसी के अनुरूप इन फैक्ट्रियों पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। नुकसान की भरपाई होने तक उन फैक्ट्रियों को बंद रखने को कहा है। पानीपत प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोर्ट के इस आदेश को तामिल कराएगा। पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर सेक्टर 18 में फैक्ट्रियां संचालित की जा रही है। रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व प्रधान सरदार गुरदीप सिंह ने सेक्टर 18 में चलने वाली 12 फैक्ट्रियों के खिलाफ एनजीटी में याचिका लगाई थी। इन फैक्ट्रियों से घातक अपशिष्ट रसायन बोरवेल के माध्यम से भूजल में छोड़ा जा रहा था। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए निगम आयुक्त, नगर योजनाकार, संपदा अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी की टीम बना कर वस्तुस्थिति रिपोर्ट जमा कराने को कहा। टीम ने अलग-अलग फैक्ट्रियों की 73 पृष्ठों की रिपोर्ट बना कर जमा करा दी। सेक्टर 18 आरडब्ल्यूए के मुताबिक कमेटी की यह रिपोर्ट हकीकत से परे है।
रिपोर्ट में ये बातें :
-लोगोंवाल स्पीनिग मिल, लूम्स नीट्स व गीता स्पीनिग मिल ग्रीन कैटेगरी में है। इन यूनिटों के पास केंद्रीय भूजल बोर्ड से जल दोहन की अनुमति नहीं थी। बोरवेल को सील कर दिया गया था। -अशोक स्पीनिग चालू हालात में नहीं मिला। इस साइट पर आरव टेक्सटाइल आपरेट किया जा रहा है। ये व्हाइट कैटेगरी में शामिल है। -भारतीया स्पीनिग मिल व लार्ड शिवा हैंड स्पीनिग मिल वेस्ट कॉटन की प्रोसेसिग करती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से किसी तरह का कंसेंट नहीं होने से 4 अक्टूबर 2019 को बंद कर दिया गया। -कौशल्या, सरस्वती वूलेन व ज्योति स्पीनिग मिल साइट पर चलता नहीं मिला। केंद्रीय भूजल बोर्ड से जल दोहन की अनुमति नहीं होने से बोरवेल को पहले ही सील किया जा चुका है। -प्रकाश स्पीनिग मिल व अजंता ब्लैंकेट्स साइट पर चलता हुआ नहीं पाया गया। -अनमोल स्पीनर्स ग्रीन कैटेगरी में शामिल है। भूजल दोहन के लिए केंद्रीय ग्राउंड वाटर बोर्ड से अनुमति नहीं ले रखी है। कोर्ट ने क्या कहा कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीसी पानीपत व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त कमेटी को 30 अक्टूबर 2020 तक एक्शन टेकन रिपोर्ट देने को कहा गया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बीते आठ अक्टूबर को रिपोर्ट जमा कराई है। 12 यूनिटों की रिपोर्ट में कमियां पाई गई। नुकसान की भरपाई के लिए इन कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया। कुछ केस मे वसूली भी की गई। रिपोर्ट में रि-लोकेशन पालिसी का हवाला देकर कहा गया कि रेड व आरेंज कैटेगरी की फैक्ट्रियां निर्धारित समय के अनुरूप रेजिडेंशियल एरिया से शिफ्ट हो चुकी है। लेकिन ग्रीन कैटेगरी व हाउस होल्ड यूनिटें (बेकरी, आटा चक्की..) नार्म्स के अनुसार चल रही है। रेड कैटेगरी की प्रथम टेक्सटाइल बंद हो चुकी है। कोर्ट ने कहा रि लोकेशन पालिसी को सख्ती से लागू किया जाए। रेजिडेंशियल एरिया में औद्योगिक गतिविधि प्रतिबंधित होगी। नुकसान की भरपाई के लिए जिन फैक्ट्रियों पर जुर्माना लगाया गया उसकी रिकवरी के शीघ्रता से प्रयास किए जाएं। पेमेंट करने तक ऐसी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया जाए।
फैक्ट्रियों की रिपोर्ट में पक्षपात
पूर्व प्रधान गुरदीप सिंह ने कहा कि संपदा अधिकारी ने इस एटीआर में कोर्ट को गुमराह किया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के रिहायशी क्षेत्र में किसी तरह की फैक्ट्री नहीं चल सकती है। फैक्ट्रियों की रिपोर्ट में पक्षपात किया गया है।