दूसरों की जिंदगी बचा रहीं हरियाणा की ये देवियां, मुश्किलों में मुस्कुरा बखूबी निभा रहीं जिम्मेदारी
आज से यानी 13 अप्रैल से नवरात्र शुरू हो गए हैं। इस नवरात्र हम उन देवियों की भी बात कर रहें जो समाज के बीच में रहकर अपनी जिंदगी की परवाह न करते हुए दूसरों के प्राण बचा रहीं। आइए पढ़ते हैं उनके बारे में।
पानीपत, जेएनएन। पिंकी रानी पानीपत के नौल्था सब सेंटर में बतौर एएनएम (सहायक नर्स प्रसूति) कार्यरत हैं। पिंकी कोरोना काल की योद्धा हैं। पानीपत में दूसरा कोरोना पॉजिटिव मरीज (23 मार्च-2020) को नौल्था में मिला था। पूरे गांव को सील कर दिया गया। इसके बावजूद बिना डरे पिंकी ने 11 हजार की आबादी वाले गांव में हर शख्स की स्क्रीनिंग की थी। दिन रात गांव में डटी रहीं थीं।
इनके काम को सलाम
पिंकी ने बताया कि 15 दिनों तक रोजाना रात्रि एक बजे तक काम किया था। पहले दिन से आज तक पॉजिटिव मरीजों को होम आइसोलेट कराने से लेकर, स्वास्थ्य की नियमित जानकारी लेती हूं।
परिवार की भी जिम्मेदारी
पति सुरेंद्र कुमार पुलिस में हवलदार हैं। 15 साल का बेटा जतिन, 12 वर्षीय बेटी हिमांशी है। संयुक्त परिवार है। ससुर ओमप्रकाश, सास मूर्ति देवी, 90 साल के दादा ख्याली राम सहित जेठ-जेठानी व उनके बच्चे साथ रहते हैं। परिवार का सहयोग भरपूर मिलता है, इसलिए 24 में 16 घंटे, किसी न किसी रूप में मरीजों की सेवा में बीतते हैं।
पॉजिटिव होने के बाद नहीं टूटा हौसला, नियमित की ड्यूटी
अंबाला स्वास्थ्य विभाग की स्टाफ नर्स नीलम कोरोना पॉजिटिव हो गईं। एक बार तो लगा कि क्या होगा, लेकिन हिम्मत जुटाई और कोरोना से जंग जीत ली। हौसला बुलंद कर फिर से अपनी ड्यूटी पर लौटीं और कोरोना से जूझ रहे मरीजों का सहारा बनीं। इन मरीजों की देखभाल कर उनको हौसला दिया। नीलम ने बताया कि मार्च 2020 में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले थे। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग का काम शुरू किया है। इस कार्य में कोई अवकाश नहीं लिया। इसके अस्पताल में ड्यूटी लगी। इस दौरान प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं की कोविड की जांच करने में ड्यूटी लगी। इस दौरान कोरोना के पीक समय में ड्यूटी से घर जाती थी, तो परिवार के लोगों से दूरी बना कर रहती थी।
जसविंदर कौर टीम के साथ ड्यूटी पर डटी रहीं
कोविड 19 का वह दौर पंजोखरा पीएचसी की मेडिकल आफिसर जसविंद्र कौर को आज भी याद है। एक बार फिर से वही परिस्थितियां बनती जा रही हैं, लेकिन जोश व हौसले में कोई कमी नहीं आई। जस¨वदर कौर ने बताया कि सत्रह गांवों में कईं कंटेनमेंट जो पिछले साल बनाए गए थे। इनमें पंजोखरा, मंडोर, काकडू, रायवाली, गरनाला, बरनाला, धूलकोट, सद्दोपुर, बोडाखेडा आदि शामिल रहे। चुनौती थी कि हर घर पहुंचकर लोगों को कोरोना से बचाव की जानकारी देनी है। बेझिझक अपनी टीम के साथ काम शुरू किया।
घर नहीं फील्ड में बीता ज्यादा समय
गांव बाड़ा के वेलनेस सेंटर में बतौर आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी तैनात डा. समिधा शर्मा के लिए बीते साल कोविड काल एक चुनौती लेकर आया था। समय ऐसा था कि कोविड के केस लगातार बढ़ रहे थे। मैंने अपनी टीम के साथ आसपास के गांवों को चुना और वहां पर लोगों को कोविड से बचाव के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया। कुछ कंटेनमेंट जोन भी थे, जहां रह रहे लोगों को सावधान भी करना था। इन लोगों को बताया कि कोरोना से बचने के लिए आयुर्वेद में क्या उपचार है। इसके लिए जहां योग का महत्व बताया, वहीं कुछ दवाएं भी दी गईं।
बिना छुट्टी किए ड्यूटी दे रहीं डा. कमलजीत
डा. कमलजीत बताती हैं कि जिस समय कोरोना महामारी फैली थी। सबसे पहले तो घर पर ही पूरा तरीका बदला। बच्चों को सिखाया कि उन्हें किस तरह से साफ सफाई का पालन करना है, क्योंकि हमारी बाहर ड्यूटी रहती थी। ऐसे में बच्चों की चिंता सबसे अधिक रहती थी। पति भी जगाधरी सिविल अस्पताल में सर्जन हैं, तो वह भी ड्यूटी से आने में लेट हो जाते थे। मेरी भी ड्यूटी का समय बढ़ गया था।
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