पानीपत, जेएनएन। रैंप पर कैटवाक करने वालीं रजनी बैनीवाल को जब किसी ने भंडारे में पूड़़ी बेलते हुए देखा तो आश्चर्यचकित रह गए। दरअसल, ये कोरोना काल में लाकडाउन का वक्त था। तहसील कैंप में उन्होंने कुछ कामगारों को मजबूरी में घर छोड़ते देखा तो इनके लिए खाने का इंतजाम करने में जुट गईं।
आठ मार्च को महिला दिवस है। कोरोना के कारण वर्ष 2020 पूरी तरह से इसी के डर से जकड़ा रहा। लाकडाउन भी लगा। पानीपत की महिलाओं ने घर तो संभाला ही, साथ ही सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाई। ऐसी ही हैं कि मिसेज पानीपत रजनी बैनीवाल। घर-घर जाकर खाना पहुंचाया। साथ ही सामाजिक संगठनों को भी वितरण के लिए पैकेट सौंपे।तहसील कैंप निवासी रजनी बैनीवाल ने बताया, लाकडाउन के वक्त जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाना जरूरी थी। कोरोना का डर तो था लेकिन मानवता से बढ़कर तो कुछ नहीं। इसी सोच के साथ उन्होंने खाली प्लाट में खाना बनवाना शुरू किया।
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बाद में लोग जुड़ते गए
दो सप्ताह तक उन्होंने पति संदीप के सहयोग से खाना बनवाया। खुद पूड़ियां बनाईं। धीरे-धीरे लोग उनके साथ जुड़ते गए। सहायता के लिए पहुंचने लगे। इसके बाद उन्होंने दो महीने तक इस तरह भंडारा लगाया। रोजाना तीन सौ से चार लोगों के लिए खाना पहुंचाया।
हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा दे रहीं
रजनी बैनीवाल हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं। वह दादा लख्मीचंद कला विकास मंच की जिला अध्यक्ष हैं। इस मंच के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति के बारे में बताती हैं। जागरूकता कार्यक्रम करती हैं। इसके अलावा शहीद भगत सिंह क्लब की जिला अध्यक्ष हैं।
परिवार ने साथ दिया
रजनी के पति संदीप बैनीवाल एक मोबाइल कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं। इनकी दो बेटियां और एक बेटा है। फैशन शो में माडलिंग करती हैं। इनसे अर्जित होने वाली आय को सामाजिक कार्यों में खर्च करती हैं। परिवार ने तो साथ दिया ही, परिचित भी मदद के लिए आगे आए। अर्जुन हुड्डा, राजेश, अनमोल, सुरेंद्र का विशेष सहयोग रहा।
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