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    Haryana Weather Update: हरियाणा में मानसून पर लग सकता है ब्रेक, इन प्रदेशों में भारी बारिश की संभावना, जानिए वजह

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 06 Aug 2021 09:55 AM (IST)

    हरियाणा में मानसून में अचानक कमी आ सकती है। अब बारिश नहीं होने की संभावना है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में बने अनेक तूफान की वजह से मानसून की गतिविधियों में कमी आ रही। वहीं कुछ राज्‍यों में भारी बारिश की संभावना है।

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    मानसून की गतिविधि में कमी आ सकती है।

    करनाल, जागरण संवाददाता। मानसून में अचानक कमी आ गई है। मौसम विज्ञानी इसे लेकर चितिंत हैं। अनुमान है कि हरियाणा में मानसून की गतिविध में कमी आएगी। अब 15 दिन तक सिर्फ हल्‍की बूंदाबांदी हो सकती है।

    मौसम विभाग का मानना है कि भारत के गंगीय मैदानी इलाकों के निचले पहाड़ी इलाकों को छोड़कर अधिकतर हिस्सों में मानसून की धारा कमजोर चरण में प्रवेश करेगी। जिसके परिणामस्वरूप अधिकतर हिस्सों में मौसमी गतिविधि धीमी हो जाएगी। जब तक प्रशांत क्षेत्र में यह गतिविधियां कम नहीं हो जाती, तब तक किसी भी नए मानसूनी निम्न दबाव के क्षेत्र के बनने की संभावना नहीं है। इसमें 7-10 दिन लग सकते हैं और अगस्त के शुरूआती 15 दिनों तक 'ब्रेक मानसून' की स्थिति बन सकती है।

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    यहां भारी बारिश

    इस अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत की तलहटी में भारी वर्षा की संभावना है। देश में कमजोर मानसून की स्थिति के कारण अधिकांश हिस्सों में कम बरसात देखने को मिलेगी।

    ये है वजह

    पश्चिमी प्रशांत महासागर के विभिन्न हिस्सों पर उष्णकटिबंधीय तूफान से बने हुए हैं। हालांकि, जून से सितंबर साइक्लोजेनेसिस के लिए सबसे सक्रिय अवधि है। जिसमें अकेले अगस्त में बेहद सक्रियता देखी गई है। गयी है। यह अवधि भारतीय दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के साथ भी मेल खाती है। उत्तरी गोलार्ध में गर्मी के मौसम के दौरान मई का महीना सबसे कम सक्रिय होता है। पश्चिम प्रशांत क्षेत्र वर्तमान में चारउष्णकटिबंधीय तूफानों, जो अपने जीवन चक्र के विभिन्न चरणों में हैं, की मेजबानी कर रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक इस समय पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ये सभी मौसम प्रणालियां काफी मजबूत हो जाती हैं और मानसून मौसम के दौरान अक्सर आंधी-तूफान की ओर बढ़ जाती हैं।

    ये तूफान बंगाल की खाड़ी तक पहुंचते हुए मीलों दूर तक हवा के बहाव को प्रभावित करते हैं। इन तूफानों की उपस्थिति भारतीय उपमहाद्वीप पर सक्रिय मानसून की स्थिति को हमेशा दबा देती है। उनकी उपस्थिति भारतीय समुद्रों में मानसून प्रणालियों के निर्माण को भी रोकती है। इनमें से कुछ तूफान वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड और म्यांमार को पार करने के लिए पश्चिम की ओर बढ़ते हैं और कमजोर सिस्टम के रूप में बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करते हैं। वे डिप्रेशन में मजबूत होने और मानसून की धारा को सक्रिय करने के लिए खुले पानी में फिर से उभर आते हैं।

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