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    हरियाणा: RTI से मिला लापता भाई, 35 साल पहले गया था अमेरिका; विदेश मंत्रालय के माध्यम से पहुंची बात

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 12:00 AM (IST)

    पानीपत के हरदेव सिंह 35 साल पहले अमेरिका में लापता हो गए थे। उनके परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट एसपी शर्मा ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी जुटाई। विदेश मंत्रालय और अमेरिकी दूतावास से संपर्क करने के बाद पता चला कि हरदेव सिंह की मृत्यु हो चुकी है। आरटीआई की मदद से परिवार को सच्चाई का पता चला।

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    35 साल पहले अमेरिका गया भाई लापता हुआ था। फाइल फोटो

    प्रदीप शर्मा, पानीपत। 35 साल पहले अमेरिका में लापता हुए माडल टाउन के व्यक्ति हरदेव सिंह को आरटीआइ के माध्यम से खोज निकाला है। रामलाल चौक निवासी दर्शन सिंह और उनके स्वजन ने हरदेव सिंह के बारे में जानकारी पाने की उम्मीद लगभग छोड़ दी थी। उन्हें यह नहीं पता था कि हरदेव सिंह किस हालात में है।

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    प्रशासन और सरकार से गुहार लगाने के बाद भी जब कोई परिणाम नहीं मिला, तो दर्शन सिंह ने हार मान ली थी। उनकी मुलाकात माडल टाउन के आरटीआइ एक्टिविस्ट एसपी शर्मा से हुई। दोनों ने मिलकर इस मामले को सुलझाने का निर्णय लिया। काफी प्रयासों के बाद उन्हें पता चला कि उनके भाई की मौत हो चुकी है।

    जवाब देने पहुंचे विदेश मंत्रालय के अधिकारी

    एसपी शर्मा ने विदेश मंत्रालय में आरटीआइ लगाकर दर्शन सिंह के भाई हरदेव सिंह के बारे में जानकारी मांगी तो जवाब नहीं मिला। कई अपील पर उन्हें बुलाया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मामला ज्यादा लंबित हुआ तो विदेश मंत्रालय भी हरकत में आया और हरदेव सिंह को ढूंढने के तेजी से प्रयास शुरू हुए।

    सूचना आयुक्त ने यह कहकर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को फटकार लगाई कि सिस्टम से विदेश जाने वालों की डिटेल मंत्रालय के पास होती है, वहां की स्थिति की जानकारी भी होनी चाहिए। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास में संपर्क करने को कहा।

    जिसके बाद दर्शन सिंह की उम्मीद जिंदा हुई। विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास को संपर्क कर हरदेव सिंह के बारे में जानकारी मांगी। इसके बाद जवाब आया कि उसके बारे में सूचना भारत सरकार को नहीं दी जा सकती, हरदेव सिंह के स्वजन को ही दी जाएगी। इसलिए कागजी प्रक्रिया पूरी करवाई जाए।

    अमेरिकी दूतावास ने फॉर्म में मांगी थी डिटेल

    एसपी शर्मा ने बताया कि अमेरिकी दूतावास की तरफ से विदेश मंत्रालय के माध्यम से हरदेव के बारे में जो डिटेल फार्म में भरकर भेजनी थी, उसके बारे में स्वजन ज्यादा नहीं जानते थे। यहां पेंच अड़ गया। वह दर्शन सिंह को लेकर विदेश मंत्रालय के सचिव के समक्ष पेश हुए और स्थिति से अवगत करवाया।

    यह आरटीआइ से मांगी जानकारी का ही परिणाम था कि विदेश मंत्रालय ने उनका सहयोग किया। फार्म में कोई गलती न हो, इसलिए अमेरिकी दूतावास से बात कर जानकारियों को भरा गया। कुछ समय के बाद सूचना मिली आई कि उनके भाई की मौत हो चुकी है।

    दर्शन सिंह ने कहा- कनाडा से अमेरिका गया था भाई

    दर्शन सिंह बताते हैं कि भाई हरदेव पहले कनाडा पढ़ने के लिए गया था। डीयू से गोल्ड मेडलिस्ट हरदेव पढ़ने मे होशियार था, यहीं से अमेरिका की सरकार ने उनका चयन किसी बड़े प्रोजेक्ट के लिए किया था। इससे ज्यादा जानकारी उन्हें नहीं थी। 1978 में अमेरिका जाने के बाद उनके पास एक बार ही पत्र आया था कि वह बीमार है, अस्पताल में दाखिल हैं। उसके बाद उनका पता नहीं चल पाया था।

    आरटीआइ एक्टिविस्ट एसपी शर्मा ने बताया कि हरदेव को आरटीआइ की ताकत के बिना ढूंढना संभव नहीं था। सूचना के अधिकार के सदुपयोग से व्यक्ति अपने हकों की लड़ाई लड़ने में सक्षम है। आरटीआइ के जरिये वह सब कुछ हुआ जो सामान्य आदमी के दायरे से बहुत दूर था। अब तक वह 100 से अधिक आरटीआइ जनहित के लिए लगा चुके हैं।