थोक और रिटेल में पांच गुना का अंतर, पिस रहे आम लोग और किसान
जागरण संवाददाता, पानीपत : सब्जी मंडी में आढ़तियों की तानाशाही चलती है। किसान से जिस भाव ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पानीपत :
सब्जी मंडी में आढ़तियों की तानाशाही चलती है। किसान से जिस भाव में सब्जी खरीदते हैं, रिटेल में उसे ही पांच गुना से ज्यादा कीमत में बेचते हैं। यानी, फायदा सिर्फ एक को। पिस तो आम लोग और किसान ही रहे हैं। दुखद पहलू ये भी है कि कोई इस कुव्यवस्था को देखने वाला भी नहीं है।
सर्दी के मौसम में सब्जी की आवक बढ़ गई है। उम्मीद तो थी कि सप्लाई बढ़ने से कीमतें घटेंगी लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। थोक तथा खुदरा भाव में भारी अंतर होने के कारण आम लोगों की जेब पर बोझ कम नहीं हो रहा। सब्जी उत्पादक किसानों की भी लागत पूरी नहीं हो रही।
पेमेंट भी पुराने नोट से :
पुराने नोट भी किसानों पर भारी पड़ रहे हैं। दरअसल, मंडी में आम लोग पुराने नोट लेकर आ रहे हैं। आढ़ती यही नोट आगे किसानों को थमा देते हैं। एक तो रेट कम, ऊपर से पुराने नोटों ने तकलीफ बढ़ा दी है। 40 फीसद मंडी का कामकाज नोटबंदी के 33 दिन बीतने के बाद भी पुराने नोटों के सहारे चल रहा है।
थोक और रिटेल भाव में अंतर
सब्जियां थोक खुदरा
गोभी 04 15- 20
बैंगन 08 15
टमाटर 10 20
आलू 05 15
मटर 13 35
घीया 10 15
पत्तागोभी 05 15
शिमला मिर्च 10 30
फल के भाव
फल थोक खुदरा
सेब 75 100-120
अंगूर 120 150
(सफेद)
अंगूर
(काला) 200 230
श्रद्धा 22 40-50
अनार 50-100 70-120
तरबूज
(बेंगलुरु) 15 25
आम 250 300
(केरल)
किन्नू 15 20-25
संतरा 25 50
कीवी 12 20 (प्रति पीस)
(भाव प्रति किलोग्राम, रुपये में)
''वैवाहिक सीजन चल रहा है। फल की आवक अच्छी है लेकिन थोक व खुदरा ़के भाव में अंतर अधिक है। नोटबंदी का असर तो है लेकिन सब्जी फल को रोका नहीं जा सकता। इन दिनों आवक अधिक होती है। ''
अशोक, आढ़ती
''सब्जियों की आवक अधिक है। आवक अधिक होने के कारण थोक भाव में तो मंदा है लेकिन खुदरा के भाव कम नहीं है। खुदरा में भाव मनमाने है। इस कारण आम आदमी को लाभ नहीं मिल पा रहा। ''
रवि बंसल, सब्जी आढ़ती
पचरंगा अचार की बिक्री ठप
पानीपत का पचरंगा अचार देश के साथ-साथ विदेशों में जाता है। नोटबंदी का अचार के कारोबार पर भी असर है। अचार का डिब्बा दुकानों में लेने आने वाले 500-1000 का नोट दिखाते हैं, जिन्हें दुकानदार नहीं ले रहे। अचार का कारोबार आधा रह गया है। जीटी रोड पर पचरंगा अचार विक्रेता बृज जुनेजा ने बताया कि कई बार शाम को ही बोहनी (पहली सेल) होती है। पचास प्रतिशत कारोबार भी नहीं बचा है। नई नकदी आ नहीं रही। पुरानी नकदी ग्राहक लेकर आता है। जिसे स्वीकार नहीं कर पा रहे।

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