आबादी आधारित सर्वे में ढिलाई, कैंसर रोगियों का नहीं सटीक डाटा
पांच वर्षो में विभाग के पास 5 ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पानीपत : औद्योगिक शहर होने के कारण पानीपत में वायु-भूजल प्रदूषण बहुत अधिक है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल, पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान का मजदूर तबका भी लाखों में है। अधिकांश लोग तंबाकू या इसके उत्पादों का सेवन करते हैं। ऐसे में जिले में कैंसर रोगियों की संख्या अनगिनत हो सकती है। पीबीएस (पापुलेशन बेस्ड स्क्रीनिग) सर्वे नहीं होने से विभाग के पास रोगियों का सही डाटा नहीं है।
पांच वर्षो में विभाग के पास 586 कैंसर मरीज फ्री बस पास बनवाने पहुंचे। इनमें लगभग 30 फीसद महिलाएं शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग इसी संख्या को सही मानता रहा है। सरकार ने राष्ट्रीय कैंसर,मधुमेह, हृदयवाहिका रोग, आघात रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) चलाया हुआ है। छह अगस्त 2016 को सिविल अस्पताल में गैर संचारी रोग (एनसीडी) क्लीनिक खोला गया था। इसमें सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और ओरल कैंसर के मरीजों की स्क्रीनिग और परामर्श मिलना था। हैरत की बात यह कि पांच साल के अंतराल में इस क्लीनिक में कैंसर के एक-दो मरीज ही चिह्नित किए गए।
जून-2019 में पीबीएस (पापुलेशन बेस्ड स्क्रीनिग) सर्वे शुरू तो कर दिया। मैन पावर की कमी, कोरोना महामारी के कारण यह सर्वे भी दम तोड़ गया है। फ्री बस पास बनवाने वालों की संख्या
वर्ष मरीजों की संख्या नए मरीज पुराने मरीज
2016 191 135 56
2017 158 120 38
2018 116 94 22
2019 254 171 83
2020 71 50 21
2021 32 16 16 (तीन फरवरी तक) इस प्रकार के कैंसर के मरीज अधिक
महिलाओं में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के मामले अधिक हैं। पुरुष मरीज फेफड़ों, मुंह और गले के कैंसर से पीड़ित हैं। एनसीडी क्लीनिक की मेडिकल आफिसर डा. मनदीप ने बताया कि मरीजों को प्राथमिक जांच, उपचार के बाद रोहतक रेफर किया जाता है। मरीज व एक तीमारदार को फ्री बस पास की सुविधा है।
अस्पतालों में जागरूकता कार्यक्रम आज
सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने बताया कि सिविल अस्पताल और सीएचसी-पीएचसी में कैंसर विषय पर जागरूकता कार्यक्रम होंगे। कैंसर के लक्षणों, बचाव और इलाज की जानकारी दी जाएगी। मरीजों की स्क्रीनिग होगी। जागरूकता के लिए गलियों में ई-रिक्शा भी घुमाया जाएगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।