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Kisan Andolan: अंबाला से तीन हजार वाहनों का काफिला दिल्ली रवाना, चढ़ूनी बोले- बंगाल में हारी भाजपा, अब यूपी की बारी

अंबाला से 3 हजार से ज्यादा वाहनों का काफिला दिल्ली बॉर्डर रवाना हुआ। गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में हजारों किसान काफिले में रवाना हुए। चढ़ूनी ने कहा कि 10 जून को पानीपत से किसानों का काफिला लेकर जाएंगे।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 04:41 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 04:41 PM (IST)
Kisan Andolan: अंबाला से तीन हजार वाहनों का काफिला दिल्ली रवाना, चढ़ूनी बोले- बंगाल में हारी भाजपा, अब यूपी की बारी
चढ़ूनी के नेतृत्व में कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करते किसान।

अंबाला शहर, जेएनएन। तीन कृषि सुधार कानूनों को एक साल हो चुके हैं। इनके विरोध में चल रहे किसानों के प्रदर्शन को भी 6 माह से ज्यादा हो चुके हैं। रविवार को अंबाला-अमृतसर नेशनल हाईवे स्थित शंभू बॉर्डर से किसानों का काफिला दिल्ली के लिए रवाना हुआ। इस काफिले में लगभग तीन हजार वाहन शामिल थे।

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काफिले को रवाना करने के लिए किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी पहुंचे। उन्होंने किसानों को कुछ समय के लिए संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कृषि अध्यादेश बनाए हुए एक साल पूरा हो गया है। इस पर शनिवार को किसानों ने सत्ता पक्ष के नेताओं के घराें के आगे पूरे देश में कानूनों की प्रतियां जलाईं हैं। आज 

अंबाला से तीन हजार का काफिला दिल्ली लेकर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 10 जून को पानीपत से काफिला लेकर जाएंगे। इसी तरह क्रम जारी रहेगा। सरकार को चेताने के लिए जा रहे हैं। मुसीबत सरकार को हमारे से ज्यादा है।

सरकार की हालत खराब, लोगों के मन में नफरत

पिछले छह माह के मुकाबले सरकार की हालत और खराब है। लोगों के मन में नफरत भर गई है। अब पश्चिम बंगाल का चुनाव हारे हैं। आगे यूपी का चुनाव होगा, उसमें मिशन यूपी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन में एक बार फिर किसानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। 

किसानों के विरोध को छह महीने पूरे

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों को लेकर लाए गए अध्यादेशों को एक साल पूरा हो चुका है। इसके अलावा अंबाला से पिछले साल 26 नवंबर को ही किसानों के काफिले ने दिल्ली की ओर कूच किया था। इसे 6 माह बीत चुके हैं। किसानों का आंदोलन दिल्ली के बॉर्डरों पर जारी है। हालांकि पिछले कुछ महीनों से फसल कटाई का सीजन व कोरोना के चलते किसानों की संख्या दिल्ली धरनों पर कुछ कम देखी जा रही थी।

किसानों में जोश और रोष कम न होने देने की कोशिश

किसान आंदोलन में किसानों का जोश और कृषि कानूनों के प्रति रोष कम न हो, इसलिए गुरनाम चढूनी अलग अलग धरना स्थलों पर काफिलों को दिल्ली की ओर रवाना कर रहे हैं। इस दौरान किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी बसों में सवार होकर दिल्ली जा रही हैं।

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