Kharmas 2022: मांगलिक कार्यों पर लगी ब्रेक, खरमास शुरू, जानें एक महीने तक क्या करें, क्या ना करें
Kharmas 2022 खरमास मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। एक महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। अब 17 अप्रैल से शुरू होंगे विवाह के मुहूर्त बजेंगी शहनाइयां। हरियाणवी में मलमास को लौंद का महीना भी कहा जाता है।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। खरमास मंगलवार को शुरू हो गया। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। 23 फरवरी से 20 मार्च तक बृहस्पति अस्त हैं। मीन का मलमास लगने से 15 मार्च से 14 अप्रैल तक विवाह नहीं होंगे। इस कारण विवाह के दूसरे सत्र का पहला मुहूर्त 17 अप्रैल को होगा। अप्रैल में छह मुहूर्त, मई में 13, जून में 10 और जुलाई में चार मुहूर्त होंगे। इसके बाद 10 जुलाई से चातुर्मास शुरू होगा। इससे मांगलिक कार्यों पर चार माह के लिए पुन: विराम लग जाएगा।
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि हिंदू नववर्ष में आश्विन (आसोज) मास दो आने से अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) होगा। अधिकमास वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है। जो हर 32 माह, 16 दिन और आठ घंटे के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब छह घंटे का होता है। वहीं चंद्र वर्ष में 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षो के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। जो हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर होता है। इसी अंतर में संतुलन बनाने के लिए तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है। जिसे अतिरिक्त होने के कारण ही अधिकमास नाम दिया गया है।
हिंदू धर्म में नहीं मानते शुभ
जब से सूर्य बृहस्पति राशि मीन में प्रवेश करता है, तभी से खरमास या मलमास या अधिकमास शुरू हो जाता है। हिंदू धर्म में यह महीना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए इस महीने में नए या शुभ काम नहीं किए जाते। खरमास महीने के अपने कुछ अलग नियम बताए गए हैं। इस महीने में हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं होता है। मलिन मास होने के कारण इस महीने को मलमास भी कहा जाता है। अधिक मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है। इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।
खरमास का महत्व
ग्रंथों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य बिना सही मुहूर्त देखे शुरू नहीं किया जा सकता है। काम की शुरुआत से पहले शुभ समय या मुहूर्त या ग्रहण-नक्षण की गणना या जानकारी जरूर जुटाते हैं। इसके अलावा सूर्य की चाल पर भी जरूर ध्यान दिया जाता है। मगर खरमास महीने में कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं।
खरमास में क्या करें और क्या न करें
वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन, तिलकोत्सव करने से अशुभ फल मिलता है।
खरमास में चारपाई त्यागकर जमीन पर सोना चाहिए। इससे सूर्यदेव की कृपा बरसती है।
खरमास में थाली छोड़कर पत्तल में भोजन करना शुभकारी माना गया है।
इस माह लोगों को किसी से लड़ाई-झगड़ा करने से बचना चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए।
मान्यता है कि खरमास के दौरान मांस-मदिरा आदि का सेवन अशुभ फलदायक होता है।
खरमास में भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत लाभकारी है। इससे मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
तुलसी पूजा करनी चाहिए। शाम को तुलसी पौधे पर घी का दीपक जलाएं। समस्याएं कम होंगी।
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