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    बड़ा गांव प्रकरण: कार्रवाई का सिलसिला तेज, उप वन संरक्षक निलंबित

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 25 Dec 2021 05:56 PM (IST)

    दो सप्ताह से सुर्खियों में बने हरे पेड़ों के अवैध कटान के चर्चित प्रकरण में उप वन संरक्षक को निलंबित किया गया है। इस मामले में वन राजिक अधिकारी सुभाषचंद वन दरोगा दलबीर सिंह एवं वन रक्षक मुकेश कुमार को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

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    बड़ा गांव प्रकरण मामले में उप वन संरक्षक निलंबित।

    करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल के बड़ा गांव के रिजर्व फारेस्ट से बिना परमिशन पेड़ काटने के चर्चित मामले में हरियाणा सरकार ने करनाल के उप वन संरक्षक आइएफएस नरेश कुमार रंगा आई को निलंबित कर दिया। अब वह चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट पश्चिम परिमंडल हिसार कार्यालय में रहेंगे। इस बाबत वन एवं वन्य जीव विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन राय द्वारा आदेश की कापी सभी संबंधित विभाग प्रमुखों को प्रेषित कर दी गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियमावली के नियम 8 (विशेष दंड) के तहत मामले में तुरंत प्रभाव से चार्जशीट का ड्राफ्ट भेजने के आदेश भी दिए गए हैं।

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    हरे पेड़ों का कटान

    दो सप्ताह से सुर्खियों में बने हरे पेड़ों के अवैध कटान के चर्चित प्रकरण में निलंबन की यह चौथी कार्रवाई है। मामले में वन राजिक अधिकारी सुभाषचंद, वन दरोगा दलबीर सिंह एवं वन रक्षक मुकेश कुमार को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। प्रकरण में 11 दिसंबर को बड़ा गांव के निकट 209 एकड़ भूमि में रिजर्व फारेस्ट से बिना परमिशन पेड़ कटाई की गई, जिसकी भनक ग्रामीणों को लग गई। मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में बड़ा गांव की पूर्व सरपंच अंगूरी देवी, रणबीर नंबरदार पूर्व पंच कविता देवी, भगतराम नंबरदार एवं सतीश कुमार व अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि रिजर्व फारेस्ट में तालाब बनाने से पूर्व बिना परमिशन पेड़ों को काटा जा रहा है।

    टेंडर में अनियमितता का भी आरोप

    शिकायत में बताया गया था कि वन विभाग द्वारा उक्त क्षेत्र में 2016 में बिजली का ट्यूबवेल लगाया गया जबकि जिला वन विभाग के एक अधिकारी ने अपने दो करीबियों को असंध एवं नीलोखेड़ी ब्लाक में करोड़ों रुपये के विभागीय टेंडर दिए। हालांकि वन अधिकारियों ने मिलीभगत से टेंडर के आरोप को निराधार बताते हुए तर्क दिया था कि कुछ लोगों के आग्रह पर तालाब का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा गया था। इस पर तालाब की स्वीकृति के साथ 80 लाख रुपये का बजट मंजूर हो चुका है। इसके बाद ही तालाब की जगह झाड़ सफाई करने का कार्य शुरू किया गया। लेकिन कुछ श्रमिकों द्वारा पेड़ काटने शुरू कर दिए गए।

    लटक रहा तालाब निर्माण

    बड़ा गांव के निकट वन विभाग की 209 एकड़ भूमि में रिजर्व फारेस्ट में शेड्यूल वन यानी छोटी प्रजाति के हजारों वन्य प्राणी हैं। उन्हें पीने के पानी की आवश्यकता रहती है। वहीं जंगल में पेड़ों के अवैध कटान को लेकर पनपे विवाद के चलते अब तालाब बनाने का मामला अधर में लटकता नजर आ रहा है। हालांकि ग्रामीणों का एक बड़ा हिस्सा यहां तालाब बनाने के पक्ष में है। जंगली जानवरों के लिए दूर-दराज से खाना-दाना लेकर यहां पहुंचने वाले कुछ वन्य जीव प्रेमी भी जंगल में तालाब बनाने के पक्षधर हैं। इनमें शामिल दलजीत कौर साही ने सरकार से अपील की है कि टायलेट का गंदा पानी पीने को मजबूर जंगली जानवरों के लिए यहां तालाब बनाने की नितांत आवश्यकता है।