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    जंक-पैकेट बंद फूड बना रहा बीमार, चना, बाजरा, मक्का, जौ मिश्रित रोटी खाएं, स्वस्थ रहें

    By Umesh KdhyaniEdited By:
    Updated: Sun, 08 Aug 2021 08:34 AM (IST)

    बदलता खानपान बीमार कर रहा है। पानीपत का हर 10वां व्यक्ति शुगर का मरीज है। हर तीसरा-चौथा व्यक्ति मोटापा और उच्च रक्तचाप का शिकार है। चार दशक पहले गेहूं के साथ चना मटर बाजरा और जौ मिलाकर पिसवाया जाता था।

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    पानीपत सिविल अस्पताल के फिजिशियन कंसल्टेंट डा. जितेंद्र त्यागी।

    पानीपत, जेएनएन। दूध-दही का खाना ऐसा मेरा हरियाणा... कहावत कालांतर में इसलिए चरितार्थ थी कि साधन संपन्न प्रदेश होने के बावजूद यहां देसी खानपान को तरजीह दी जाती थी। मल्टीग्रेन आटा आज बेशक धनाढ्य परिवारों की रसोई में है, चार दशक पहले गेहूं के साथ चना, मटर, बाजरा और जौ मिलाकर चक्की पर पिसवाया जाता था। सर्दी के मौसम में सरसों-चना का साग मक्का-बाजरा की रोटी की रोटी सभी का पसंदीदा भोजन था।

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    सिविल अस्पताल के फिजिशियन कंसल्टेंट डा. जितेंद्र त्यागी ने मोटापा, शुगर, उच्च रक्तचाप सहित दूसरी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की संख्या वृद्धि पर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मैदा-चीनी से बने खाद्य आइटम, पैकेट बंद खाद्य सामग्री, जंक फूड हमारे डाइट चार्ट का हिस्सा कभी नहीं रहे। शहरों की चकाचौंध गांवों तक पहुंची, मल्टी नेशनल कंपनियों ने पैकेट बंद खाद्य उत्पाद बाजार में उतारे हमारे घरों में भी पहुंचने लगे। एकल होते परिवारों, विद्यार्थियों और युवाओं ने इन उत्पादों को हाथों-हाथ लिया। नतीजा, जिले का हर 10वां व्यक्ति शुगर का मरीज है। हर तीसरा-चौथा व्यक्ति मोटापा और उच्च रक्तचाप का शिकार है।

    25-40 की आयु में हार्ट रोगियों की संख्या 40 फीसद

    डा. त्यागी के मुताबिक 25 से 40 की आयु में हार्ट संबंधी रोगियों की संख्या करीब 40 फीसद है। स्किन की चमक और चेहरे की दमक बरकरार रखने के लिए सौंदर्य उत्पादों का सहारा लेना पड़ रहा है। कालांतर में डाइटीशियन की भूमिका लगभग नगण्य होती थी। अब सरकारी और निजी अस्पतालों में डाइटीशियन की भूमिका अहम हो गई है।

    बाजरा : यह गर्म अनाज है, पहले सर्दी के मौमम में इसका दलिया और आटा की रोटी चाव से खाई जाती थी। इसमें प्रोटीन मैथाइन, विटामिन बी, आयरन और कैल्शियम का भंडार है। कैंसर के खतरे को कम करता है।

    ज्वार : इसके सेवन से कुपोषण की समस्या दूर होती है। इसमें सभी पोषक तत्व हैं जो गेहूं में नहीं हैं। वसा कम होती है। कार्बोहाइडेट, आयरन, कैल्शियम भी खूब होता है।

    मक्का : इसका भुट्टा खाने से पेट अल्सर से निजात मिलती है। रेशेवाला भोजन होने के कारण वज़न घटाने में उपयोगी है। भुने हुए मक्का के दाने चबाने से हृदय रोग का खतरा कम होता है।

    चना : औषधीय गुणों से परिपूर्ण खाद्य पदार्थ है, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर व विटामिन-बी का अच्छा स्रोत है। कुपोषित बच्चों, किशोरियों को अस्पतालों और आंगनबाड़ी केंद्रों में खूब खिलाया जाता है।

    मोटा अनाज गेंहू-चावल पर भारी

    डाइटीशियन पूनम जागलान ने कहा कि पौष्टिकता-सेहत के मामले में मोटे अनाज गेंहू-चावल पर भारी पड़ते हैं। प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, लोहा, विटामिन के तो भंडार हैं। साथ में हरी सब्जियां, मौसमी फलों का सेवन और रोजाना 45-60 मिनट का व्यायाम भी व्यक्ति को निरोगी बनाते हैं।

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